निमिषा प्रिया मामले में एक और मोड़ आया सामने! सरकार के प्रयासों पर विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया

भारत सरकार यमन में मृत्युदंड का सामना कर रही भारतीय नागरिक निमिषा प्रिया के परिवार को अधिक समय दिलाने और पीड़ित यमनी परिवार के साथ आपसी सहमति से समाधान खोजने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को इस संवेदनशील मामले में अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.

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Nimisha Priya: भारत सरकार यमन में मृत्युदंड का सामना कर रही भारतीय नागरिक निमिषा प्रिया के परिवार को अधिक समय दिलाने और पीड़ित यमनी परिवार के साथ आपसी सहमति से समाधान खोजने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को इस संवेदनशील मामले में अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.

निमिषा प्रिया का मामला

38 वर्षीय केरल निवासी निमिषा प्रिया वर्तमान में यमन की राजधानी सना में जेल में हैं, जो हूती विद्रोहियों के नियंत्रण में है. उनकी फांसी, जो 16 जुलाई को निर्धारित थी, भारतीय अधिकारियों, यमन में प्रवासी भारतीयों और एक प्रभावशाली भारतीय मौलवी की मध्यस्थता के बाद स्थगित कर दी गई. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा कि सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है और निमिषा के परिवार को कानूनी सहायता प्रदान कर रही है.

सरकारी प्रयास और कानूनी सहायता

जायसवाल ने बताया कि सरकार ने निमिषा के परिवार के लिए एक वकील नियुक्त किया है और नियमित कांसुलर दौरे सुनिश्चित किए हैं. स्थानीय अधिकारियों और परिवार के साथ निरंतर संपर्क में रहकर मामले को सुलझाने की कोशिश की जा रही है. हाल के दिनों में पीड़ित परिवार के साथ आपसी सहमति से समाधान के लिए समय बढ़ाने के प्रयास तेज किए गए. इस्लामी परंपरा “दियत” (रक्त धन) के तहत मृतक के परिवार को मुआवजा देकर माफी मांगी जा सकती है, लेकिन यमनी पीड़ित के परिवार ने माफी देने से इनकार कर दिया है.

मौलवी की भूमिका पर चुप्पी

भारत सरकार ने कुछ मित्र देशों के साथ भी संपर्क किया है, हालांकि जायसवाल ने इन देशों के नाम उजागर नहीं किए. यमन में हूती विद्रोहियों के साथ औपचारिक संपर्क की कमी के कारण यह मामला जटिल हो गया है. पीड़ित के भाई अब्दुल फतह महदी ने सोशल मीडिया पर कहा कि उनका परिवार इस्लामी कानून के अनुसार सजा चाहता है और मुआवजे को स्वीकार नहीं करेगा.

केरल के सुन्नी मौलवी कंथापुरम एपी अबूबक्कर मुसलियार की कथित भूमिका पर जायसवाल ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. मौलवी ने यमनी विद्वानों से बात कर फांसी को टालने में मदद की थी.