Trump-Putin meeting: 15 अगस्त 2025 को अलास्का के एंकोरेज में एक ऐतिहासिक मुलाकात होने जा रही है, जहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के उपायों पर चर्चा करेंगे. ट्रंप ने एक सप्ताह पहले इस बैठक की घोषणा की थी और रूस को चेतावनी दी थी कि यदि वह युद्धविराम पर सहमत नहीं हुआ, तो उसे और सख्त अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है.
यह मुलाकात जॉइंट बेस एलमेंडॉर्फ़-रिचर्डसन में होगी, जो 64,000 एकड़ में फैला अलास्का का सबसे बड़ा सैन्य अड्डा है और आर्कटिक क्षेत्र में अमेरिका की रणनीतिक ताकत का प्रतीक है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस अलास्का में यह महत्वपूर्ण मुलाकात हो रही है, वह कभी रूस का हिस्सा था?
अगर रूस ने यह क्षेत्र नहीं बेचा होता, तो आज अमेरिका का सबसे बड़ा राज्य किसके पास होता? क्या इस मुलाकात के पीछे इतिहास की कोई गहरी रणनीति छिपी है? आइए, अलास्का की उस कहानी को जानें, जिसमें व्यापार, राजनीति और अरबों डॉलर का सौदा शामिल है.
एक साम्राज्य का विस्तार
18वीं सदी में रूस का साम्राज्य साइबेरिया से आगे बढ़ रहा था. 1741 में रूसी खोजकर्ता विटस बेरिंग ने अलास्का की धरती पर पहला कदम रखा. यहां सील, ऊदबिलाव और अन्य जानवरों की खाल के व्यापार ने रूसी व्यापारियों को आकर्षित किया. सिटका को इस क्षेत्र की राजधानी बनाया गया, और फर व्यापार इस क्षेत्र की आर्थिक रीढ़ बन गया.
हालांकि, अलास्का की भौगोलिक स्थिति रूस के लिए एक बड़ी चुनौती थी. यह रूस से हजारों किलोमीटर दूर था, और संकट के समय मदद पहुंचाने में महीनों लग जाते थे. 1850 के दशक में क्रीमियन युद्ध के दौरान ब्रिटिश नौसेना ने रूसी बस्तियों पर हमले किए, जिससे रूस को यह अहसास हुआ कि इस सुदूर क्षेत्र को नियंत्रित करना बेहद मुश्किल है.
अलास्का की बिक्री
1850 के दशक तक रूस के जार अलेक्जेंडर द्वितीय के सामने एक जटिल स्थिति थी. अलास्का को बनाए रखने का खर्च लगातार बढ़ रहा था, जबकि फर व्यापार की आय घट रही थी. ब्रिटेन के साथ संभावित युद्ध के डर से रूस को लगने लगा कि यह क्षेत्र जल्द ही उसके हाथ से निकल सकता है. इस स्थिति में रूस ने अलास्का को बेचने का फैसला किया.
अमेरिकी विदेश मंत्री विलियम सेवार्ड ने इस अवसर को भांप लिया. उनका मानना था कि अलास्का अमेरिका के लिए एशिया के साथ व्यापार का प्रवेश द्वार बन सकता है. 30 मार्च 1867 को रातभर चली गहन बातचीत के बाद रूस ने 15 लाख 70 हजार वर्ग किलोमीटर का यह विशाल क्षेत्र केवल 72 लाख डॉलर में अमेरिका को बेच दिया.
यानी, प्रति एकड़ जमीन की कीमत मात्र 2 सेंट थी. अमेरिका में इस सौदे की आलोचना हुई और इसे “सेवार्ड्स फॉली” कहा गया. कई लोगों को लगा कि बर्फीली और बेकार जमीन खरीदकर अमेरिका ने मूर्खता की है. लेकिन समय ने इस सौदे को एक मास्टरस्ट्रोक साबित किया.
सोना, तेल और सामरिक शक्ति
कुछ ही वर्षों में अलास्का ने अपनी असली कीमत दिखाई. 1896 में क्लोंडाइक गोल्ड रश ने हजारों लोगों को इस क्षेत्र की ओर आकर्षित किया. 20वीं सदी में तेल और प्राकृतिक गैस के विशाल भंडारों की खोज ने अलास्का को अमेरिका के ऊर्जा संसाधनों का एक प्रमुख केंद्र बना दिया.
आज यह अमेरिका के ऊर्जा भंडारों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. अलास्का की भौगोलिक स्थिति भी इसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाती है. यह रूस से केवल 85 किलोमीटर की दूरी पर है. शीत युद्ध के दौरान यहां अमेरिकी सैन्य अड्डे स्थापित किए गए, जो आज भी रूस की गतिविधियों पर नजर रखते हैं.
अलास्का का रणनीतिक महत्व
अलास्का की सीमाएं आर्कटिक सर्कल से मिलती हैं, जो इसे उत्तरी ध्रुव के निकट ले जाती हैं. जलवायु परिवर्तन के कारण आर्कटिक में बर्फ पिघल रही है, जिससे नए समुद्री मार्ग और तेल-गैस के भंडार खुल रहे हैं. रूस, अमेरिका और चीन जैसे देश इन नए अवसरों पर अपनी नजरें गड़ाए हुए हैं.
जॉइंट बेस एलमेंडॉर्फ़-रिचर्डसन अलास्का में अमेरिकी वायुसेना और नौसेना का एक महत्वपूर्ण केंद्र है. यह बेस आर्कटिक क्षेत्र और रूस की सीमाओं पर अमेरिका की निगरानी का प्रतीक है. यही कारण है कि अमेरिका-रूस संबंधों में कोई भी बड़ा बदलाव होने पर अलास्का हमेशा चर्चा में रहता है.
ट्रंप-पुतिन मुलाकात
15 अगस्त 2025 को होने वाली ट्रंप और पुतिन की मुलाकात केवल एक कूटनीतिक बैठक नहीं है. यह मुलाकात यूक्रेन युद्ध, आर्कटिक क्षेत्र की रणनीति, ऊर्जा संसाधनों और वैश्विक सैन्य संतुलन जैसे मुद्दों पर केंद्रित होगी. अलास्का का चयन इस मुलाकात को एक रणनीतिक संदेश बनाता है.
रूस और यूक्रेन के बीच तीन दौर की बातचीत के बावजूद शांति स्थापित नहीं हो सकी है. अब यह मुलाकात दोनों देशों के बीच सहयोग या टकराव की नई दिशा तय कर सकती है. यह मुलाकात वैश्विक राजनीति में एक नए मोड़ का संकेत हो सकती है.
क्या रूस को अलास्का बेचने का पछतावा है?
इतिहासकारों का मानना है कि यदि रूस ने अलास्का को नहीं बेचा होता, तो उसकी आर्कटिक नीति और वैश्विक प्रभाव आज कहीं अधिक मजबूत होता. अलास्का की बिक्री रूस के लिए एक रणनीतिक भूल थी, जबकि अमेरिका के लिए यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी.
भविष्य में अलास्का की भूमिका
जलवायु परिवर्तन और आर्कटिक में बढ़ती गतिविधियों के बीच अलास्का का महत्व और बढ़ने वाला है. नए समुद्री मार्ग और प्राकृतिक संसाधनों की होड़ में अलास्का एक केंद्रीय भूमिका निभा सकता है. क्या ट्रंप और पुतिन की यह मुलाकात किसी नए ऐतिहासिक सौदे की नींव रखेगी? क्या अलास्का एक बार फिर वैश्विक राजनीति का केंद्र बनेगा?