इस्लाम में फिल्में देखना नाजायज, PM मोदी और CM योगी पर बनी फिल्मों पर मौलाना का सख्त बयान

ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने एक विवादास्पद बयान में कहा है कि इस्लाम में फिल्में देखना शरीयत के खिलाफ है. उन्होंने विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर बनी फिल्मों को देखने और दिखाने को नाजायज करार दिया.

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Maulana Shahabuddin Razvi: ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने एक विवादास्पद बयान में कहा है कि इस्लाम में फिल्में देखना शरीयत के खिलाफ है. उन्होंने विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर बनी फिल्मों को देखने और दिखाने को नाजायज करार दिया. मौलाना ने जोर देकर कहा कि ऐसी गतिविधियां इस्लामी सिद्धांतों का उल्लंघन करती हैं और इसे देखने वाले को तौबा करनी चाहिए.

फिल्में देखना शरीयत के खिलाफ

मौलाना शहाबुद्दीन ने स्पष्ट किया कि इस्लाम में फिल्में देखना न केवल अनुचित है, बल्कि यह धार्मिक मान्यताओं के विपरीत भी है. उन्होंने कहा, "फिल्में देखना और उन्हें बढ़ावा देना शरीयत के नियमों के खिलाफ है. जो लोग इनका समर्थन करते हैं, उन्हें अपने कृत्यों पर पश्चाताप करना चाहिए." उनका यह बयान सोशल मीडिया पर व्यापक चर्चा का विषय बन गया है, विशेषकर तब जब पीएम मोदी और सीएम योगी पर आधारित फिल्में पहले से ही सुर्खियों में हैं.

धार्मिक और सामाजिक प्रभाव

मौलाना के इस बयान ने धार्मिक और सामाजिक मंचों पर तीखी प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की हैं. उन्होंने लोगों से अपील की कि वे ऐसी सामग्री से दूर रहें जो इस्लामी मूल्यों के खिलाफ हो. उनका कहना है कि ऐसी फिल्में समाज में गलत संदेश फैलाती हैं और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा सकती हैं.

कौन हैं मौलाना शहाबुद्दीन रजवी?

मौलाना शहाबुद्दीन रजवी, जिन्हें बरेलवी मसलक के एक प्रमुख विद्वान के रूप में जाना जाता है, ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. वे सामाजिक और धार्मिक मुद्दों पर अपने बयानों के लिए अक्सर चर्चा में रहते हैं. उनका संगठन मुस्लिम समुदाय के हितों के लिए कार्य करता है और सामाजिक सुधारों को बढ़ावा देता है.

मौलाना शहाबुद्दीन का यह बयान न केवल धार्मिक समुदायों में, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक मंचों पर भी बहस का कारण बन सकता है. उनकी यह अपील कि लोग ऐसी सामग्री से दूरी बनाएं, समाज में एक नए विमर्श को जन्म दे सकती है.