Mauni Amavasya stampede: प्रयागराज महाकुंभ 2025 में 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन संगम नोज पर हुई भगदड़ ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया. इस दुखद घटना में 30 श्रद्धालुओं की जान चली गई, जबकि कई अन्य घायल हो गए.
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस हादसे की गहन जांच के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति हर्ष कुमार की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग गठित किया. आयोग ने अब आम लोगों से इस घटना से जुड़े बयान, वीडियो और अन्य साक्ष्य साझा करने की अपील की है.
नागरिकों से सहयोग का अनुरोध
आयोग ने कहा है कि इस भगदड़ की जांच के लिए प्रत्यक्षदर्शियों और प्रभावित व्यक्तियों की जानकारी अत्यंत महत्वपूर्ण है. लोगों से दो सप्ताह के भीतर अपने साक्ष्य जमा करने का आग्रह किया गया है. कोई भी व्यक्ति लखनऊ के विकास भवन में स्थित आयोग के कार्यालय में जाकर अपना बयान दर्ज करा सकता है.
इसके अतिरिक्त, साक्ष्य व्हाट्सएप नंबर 9454400596 या ईमेल mahakumbhcommission@gmail.com के जरिए भी भेजे जा सकते हैं. आयोग ने यह भी भरोसा दिलाया है कि साक्ष्य देने वालों की पहचान पूरी तरह गोपनीय रखी जाएगी.
जांच का दायरा
न्यायमूर्ति हर्ष कुमार के नेतृत्व में आयोग घटनास्थल की भौगोलिक स्थिति, सीसीटीवी फुटेज और अन्य उपलब्ध साक्ष्यों का गहन अध्ययन कर रहा है. इसका उद्देश्य हादसे के मूल कारणों का पता लगाना और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रभावी सुझाव देना है.
महाकुंभ की भव्यता और चुनौतियां
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अनुसार, 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चले महाकुंभ में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया. यह आयोजन सनातन संस्कृति का एक भव्य प्रतीक रहा, लेकिन इस भगदड़ ने इसकी व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं. आयोग की जांच और नागरिकों का सहयोग इस दुखद घटना के कारणों को समझने और भविष्य में ऐसी त्रासदी को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.