Ram Mandir Ayodhya: 7 सितंबर 2025 को वर्ष का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण होगा. इस दिन भाद्रपद पूर्णिमा भी है. यह खगोलीय घटना भारत में पूर्ण रूप से दृश्यमान होगी, जिसके चलते इसका सूतक काल भी मान्य होगा. सूतक काल के दौरान धार्मिक कार्यों पर रोक और मंदिरों के कपाट बंद करने की सनातन परंपरा का पालन किया जाएगा. अयोध्या के श्री राम मंदिर सहित प्रमुख मठ-मंदिर 7 सितंबर को दोपहर बाद बंद रहेंगे.
चंद्र ग्रहण का क्या है वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व
चंद्र ग्रहण का सूतक काल 7 सितंबर को दोपहर 12:57 बजे से शुरू होगा. इस दौरान अयोध्या के राम मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाएंगे. ग्रहण समाप्ति के बाद मंदिर का विधिवत शुद्धिकरण होगा, जिसके पश्चात 8 सितंबर की सुबह से श्रद्धालु पुनः रामलला के दर्शन कर सकेंगे.
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, ग्रहण काल में मंदिरों के कपाट बंद करना सनातन परंपरा का अभिन्न अंग है. इस समय भक्त घर पर रहकर मंत्र जप और प्रार्थना के माध्यम से पुण्य अर्जित कर सकते हैं.
चंद्र ग्रहण तब होता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में आते हैं, और पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है. धार्मिक दृष्टिकोण से, इस दौरान नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है. इसलिए, भक्तों को महामृत्युंजय मंत्र, गायत्री मंत्र और भगवान के नाम का जप करने की सलाह दी जाती है.
गर्भवती महिलाओं के लिए सावधानियां
गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल में सावधानी बरतनी चाहिए. उन्हें घर के अंदर रहना, ग्रहण न देखना, और नुकीली वस्तुओं जैसे चाकू, कैंची या सुई का उपयोग करने से बचना चाहिए. सोने के बजाय भगवान का नाम जप और प्रार्थना करना लाभकारी माना जाता है.
ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करने की सलाह दी जाती है. ग्रहण के दौरान नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए भक्तों को मंत्र जप और ध्यान करने की सलाह दी जाती है. यह न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव को भी कम करता है.