श्रीरामस्वरूप यूनिवर्सिटी मामला में CM योगी का सख्त रुख, IG अयोध्या को जांच के आदेश

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में स्थित श्रीरामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी में छात्रों पर लाठीचार्ज की घटना ने तूल पकड़ लिया है. इस मामले का संज्ञान स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लिया है. छात्रों के साथ हुई इस घटना पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए उन्होंने त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.

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SRMU Barabanki: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में स्थित श्रीरामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी में छात्रों पर लाठीचार्ज की घटना ने तूल पकड़ लिया है. इस मामले का संज्ञान स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लिया है. छात्रों के साथ हुई इस घटना पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए उन्होंने त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.

इस घटना में शामिल पुलिस अधिकारियों पर कड़ा एक्शन लिया गया है, जिसमें सीओ सिटी हर्षित चौहान को निलंबित कर दिया गया है, जबकि नगर कोतवाल राम किशुन राना और गदिया पुलिस चौकी प्रभारी गजेंद्र सिंह सहित चौकी के सभी कर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया है.

इसके अतिरिक्त, मुख्यमंत्री ने अयोध्या के मंडलायुक्त को यूनिवर्सिटी की डिग्री की वैधता की जांच करने और IG अयोध्या प्रवीण कुमार को इस घटना की गहन जांच करने का आदेश दिया है.

क्या था पूरा मामला 

चार्ज1 सितंबर, 2025 को श्रीरामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी में बिना मान्यता प्राप्त विधि पाठ्यक्रम संचालित करने के आरोप में छात्रों ने प्रदर्शन शुरू किया. उनका कहना था कि यूनिवर्सिटी ने उन्हें ऐसे लॉ कोर्स में दाखिला दिलाया, जिसे बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) से मान्यता प्राप्त नहीं है, जिससे उनका भविष्य खतरे में पड़ गया है.

प्रदर्शन के दौरान स्थिति उस समय बिगड़ गई, जब छात्रों ने कथित तौर पर पास की एक पुलिस चौकी और परिसर में तोड़फोड़ की. पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए हल्का बल प्रयोग किया, जिसके परिणामस्वरूप कई छात्र घायल हो गए.

सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में पुलिसकर्मियों को प्रदर्शनकारी छात्रों पर लाठीचार्ज करते देखा गया, जिसने इस मामले को और गंभीर बना दिया.

पुलिस और यूनिवर्सिटी का पक्ष

पुलिस अधीक्षक अर्पित विजयवर्गीय ने बताया कि यूनिवर्सिटी के कुछ लोगों और छात्रों के बीच झड़प के कारण स्थिति और बिगड़ी. उन्होंने कहा कि वीडियो फुटेज की जांच की जा रही है और अभी तक कोई लिखित शिकायत प्राप्त नहीं हुई है.

अपर पुलिस अधीक्षक (उत्तर) विकास चंद्र त्रिपाठी ने स्थिति को शांतिपूर्ण बताया. दूसरी ओर, यूनिवर्सिटी प्रशासन ने छात्रों के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. यूनिवर्सिटी की रजिस्ट्रार प्रोफेसर नीरजा जिंदल ने दावा किया कि उनके विधि पाठ्यक्रम को बार काउंसिल ऑफ इंडिया से पूर्ण मान्यता प्राप्त है.

ABVP का प्रदर्शन

इस मामले में भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने भी सक्रिय भूमिका निभाई. संगठन के पदाधिकारी आकाश शुक्ला ने पुलिस पर छात्रों के साथ बर्बरता का आरोप लगाया. ABVP कार्यकर्ताओं ने सोमवार रात शशांक त्रिपाठी के आवास के बाहर प्रदर्शन किया, उनका पुतला दहन किया और पुलिस अधीक्षक कार्यालय तक मार्च निकालकर प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की.

ABVP के अवध प्रांत सचिव पुष्पेंद्र बाजपेयी ने कहा कि जब तक यूनिवर्सिटी के कुलपति स्वयं छात्रों से बात नहीं करते, निष्कासित छात्रों को सम्मानपूर्वक बहाल नहीं किया जाता.

आगे की कार्रवाई और जांच

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हस्तक्षेप के बाद यह मामला अब गंभीर जांच के दायरे में है. IG अयोध्या प्रवीण कुमार को इस घटना की तह तक जाने का निर्देश दिया गया है, जबकि मंडलायुक्त अयोध्या को यूनिवर्सिटी की डिग्री की वैधता की जांच करने का जिम्मा सौंपा गया है. यह घटना न केवल शैक्षणिक संस्थानों में पारदर्शिता और जवाबदेही के सवाल उठाती है, बल्कि पुलिस कार्रवाई के तरीकों पर भी सवाल खड़े करती है.