Fatehpur Tomb Controversy: उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में एक मकबरे को लेकर छिड़ा विवाद अब सियासी रंग ले चुका है. इस मामले में बहुजन समाज पार्टी (BSP) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती के बयान पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता आसिम वकार ने तीखी प्रतिक्रिया दी है.
उन्होंने मायावती पर निशाना साधते हुए कहा कि यह मंदिर-मकबरे का विवाद नहीं, बल्कि जमीन पर अवैध कब्जे का मामला है. आसिम वकार ने मायावती को सलाह दी कि अगर वह सच बोलने में असमर्थ हैं, तो बेहतर होगा कि वह इस मुद्दे पर चुप्पी साध लें.
मायावती के बयान पर आसिम वकार का पलटवार
AIMIM नेता आसिम वकार ने मायावती के सोशल मीडिया पोस्ट की कड़ी आलोचना की. उन्होंने कहा, "मायावती जी, फतेहपुर में मंदिर या मकबरे का कोई विवाद नहीं है. यह अब्दुल समद के मकबरे पर अवैध कब्जे का स्पष्ट मामला है. आपको मुस्लिम समुदाय के साथ खड़ा होना चाहिए और सच्चाई को बेबाकी से सामने लाना चाहिए.
अगर आप अवैध कब्जे को गलत नहीं ठहरा सकतीं, तो कम से कम खामोश रहें. मुसलमानों को आपकी झूठी सहानुभूति की जरूरत नहीं है." आसिम वकार ने मायावती से इस मुद्दे पर स्पष्ट और सख्त रुख अपनाने की मांग की.
सरकार ने उठाए सख्त कदम
इससे पहले, मायावती ने फतेहपुर की घटना पर अपनी प्रतिक्रिया में सरकार से इस मामले को गंभीरता से लेने की अपील की थी. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, "फतेहपुर में मकबरा और मंदिर को लेकर चल रहा विवाद साम्प्रदायिक तनाव का कारण बन सकता है. सरकार को चाहिए कि वह किसी भी समुदाय को ऐसा कोई कदम उठाने से रोके, जिससे आपसी भाईचारा और सामाजिक सद्भाव खराब हो." मायावती ने सरकार से इस मामले में सख्त कदम उठाने और स्थिति को नियंत्रित करने की मांग की.
यूपी विधानसभा में गूंजा मकबरे का मुद्दा
फतेहपुर में मकबरे में हुई तोड़फोड़ का मामला अब उत्तर प्रदेश विधानसभा तक पहुंच चुका है. नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने सदन में इस मुद्दे को उठाते हुए दावा किया कि यह एक सुनियोजित साजिश थी. उन्होंने कहा, "सात दिन पहले ही एक पार्टी के नेता ने ऐलान किया था कि यह मकबरा हिंदुओं का है और इसे कब्जा किया जाएगा. गृह सचिव ने भी इसकी पुष्टि की है." इस मामले ने अब सियासी तूल पकड़ लिया है, और विभिन्न दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है.
फतेहपुर का मकबरा विवाद अब केवल स्थानीय मुद्दा नहीं रहा, बल्कि यह एक राष्ट्रीय चर्चा का विषय बन गया है. मायावती और आसिम वकार के बीच छिड़ी यह जुबानी जंग इस मामले की संवेदनशीलता को और उजागर करती है. अब सभी की निगाहें सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं, जो इस विवाद को सुलझाने और सामाजिक सौहार्द बनाए रखने की दिशा में निर्णायक भूमिका निभा सकती है.