कौन बनेगा मुख्यमंत्री? नीतीश या तेजस्वी में बिहार की जनता किसे पहनाएगी ताज

बिहार विधानसभा चुनाव की मतगणना शुरू होने में कुछ समय है. एनडीए नीतीश कुमार और मोदी की लोकप्रियता पर भरोसा कर रहा है. महागठबंधन में तेजस्वी यादव नौकरी का वादा कर रहे हैं. एग्जिट पोल एनडीए को बहुमत दे रहे हैं लेकिन तेजस्वी इसे खारिज कर रहे हैं.

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बिहार की 243 सीटों वाली विधानसभा के लिए मतगणना थोड़ी देर में शुरू होगी. इसके लिए 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में मतदान हुआ था. बहुमत के लिए 122 सीटें जरूरी हैं. मतगणना से पहले सभी पक्षों में उत्साह और तनाव है. केंद्र में सत्ता में रहने वाला एनडीए बिहार में भी सरकार बनाने का दावा कर रहा है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसका नेतृत्व कर रहे हैं.  हालांकि नीतीश बीच में दो बार महागठबंधन में गए थे लेकिन अब एनडीए के साथ हैं. उनकी कल्याणकारी योजनाएं और शासन चुनाव का बड़ा मुद्दा रहा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रचार भी एनडीए की ताकत है.  

तेजस्वी का दावा और एग्जिट पोल का अनुमान  

लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव महागठबंधन के मुख्यमंत्री चेहरा हैं. वे नीतीश से कम उम्र के हैं. तेजस्वी ने हर परिवार को एक नौकरी देने का वादा किया है. वे खुद को बदलाव लाने वाला नेता बता रहे हैं. प्रशांत किशोर ने अपनी जन सुराज पार्टी बनाई और जड़ राजनीति का विकल्प बताया. जाति सभी दलों के वादों और टिकट बंटवारे में असर डाल रही है.

चुनाव आयोग ने सभी ईवीएम और वीवीपैट को स्ट्रांग रूम में डबल लॉक में रखा है. परिसर में दो स्तर की सुरक्षा है. अंदर केंद्रीय बल और बाहर राज्य पुलिस तैनात है. 46 मतगणना केंद्रों पर सीसीटीवी से निगरानी हो रही है. ज्यादातर एग्जिट पोल एनडीए को 121 से 209 सीटें दे रहे हैं. यह बहुमत से ज्यादा है. तेजस्वी यादव ने इसे खारिज किया. 

प्रशांत किशोर की भूमिका   

प्रशांत किशोर की पार्टी को कोई एग्जिट पोल पांच से ज्यादा सीटें नहीं दे रहा. प्रशांत ने कहा कि उनकी पार्टी या तो सरकार बनाएगी या दस से कम सीटें लाएगी. उन्होंने युवाओं और बेरोजगारी पर फोकस किया. अगर करीबी हुआ तो वे किंगमेकर बन सकते हैं. एग्जिट पोल एनडीए की जीत बता रहे हैं लेकिन दो सर्वे में तेजस्वी सबसे पसंदीदा मुख्यमंत्री हैं. एक्सिस माई इंडिया ने तेजस्वी को 34 प्रतिशत और नीतीश को 22 प्रतिशत समर्थन दिया. बिहार में 67 प्रतिशत मतदान हुआ जो आजादी के बाद सबसे ज्यादा है. हालांकि इस आंकड़े में अंतर SIR की वजह से भी बताया जा रहा है. अब देखने वाली बात होगी कि बिहार की जनता इस बार किस पर भरोसा जताती है.