Saif Ali Khan: बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान और उनके परिवार का भारत सरकार के साथ 15,000 करोड़ रुपये की संपत्ति को लेकर लंबा कानूनी विवाद हाल ही में चर्चा में रहा है. यह संपत्ति भोपाल के आखिरी नवाब हमीदुल्ला खान की थी, जिनकी दो बेटियाँ थीं. आबिदा सुल्तान और साजिदा सुल्तान. यह मामला न केवल ऐतिहासिक और कानूनी दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद की जटिलताओं को भी दर्शाता है.
शत्रु संपत्ति का था दावा
नवाब हमीदुल्ला खान की मृत्यु के बाद, परंपरा के अनुसार उनकी सबसे बड़ी बेटी, आबिदा सुल्तान को संपत्ति की उत्तराधिकारी माना गया. हालांकि, 1950 में आबिदा सुल्तान के पाकिस्तान चले जाने के बाद स्थिति बदल गई. उनकी छोटी बहन, साजिदा सुल्तान, जो सैफ अली खान की दादी थीं, भारत में रहीं और कानूनी रूप से इस विशाल संपत्ति की मालकिन बनीं. साजिदा सुल्तान ने भारत में रहकर इस विरासत को संभाला, लेकिन इस संपत्ति पर विवाद तब शुरू हुआ जब केंद्र सरकार ने इसे 'शत्रु संपत्ति' घोषित करने का दावा किया.
विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए
आबिदा सुल्तान के पाकिस्तान चले जाने के कारण, भारत सरकार ने इस संपत्ति को 'शत्रु संपत्ति' के तहत अधिग्रहित करने की कोशिश की. यह कानून उन संपत्तियों पर लागू होता है, जिनके मालिक 1947 के विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए थे. सैफ अली खान और उनके परिवार ने इस दावे के खिलाफ लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी, लेकिन अदालत ने अंततः सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया.
आधुनिक कानून के बीच टकराव
इस निर्णय के साथ ही सैफ अली खान ₹15,000 करोड़ की इस ऐतिहासिक विरासत को हासिल करने में असफल रहे. यह मामला न केवल सैफ अली खान के परिवार के लिए, बल्कि भारतीय इतिहास और कानूनी प्रणाली के लिए भी महत्वपूर्ण है.
भोपाल के नवाब की इस संपत्ति का विवाद इतिहास, परंपरा और आधुनिक कानून के बीच टकराव को दर्शाता है. अदालत के इस फैसले ने इस लंबे विवाद पर विराम लगा दिया, लेकिन यह कहानी भोपाल की रियासत और उसके गौरवशाली इतिहास को हमेशा याद रखेगी.