'सभी लोग पहले ही...' मराठी भाषा विवाद पर RSS का रुख साफ, सुनील आंबेकर ने कही ये बड़ी बात

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने महाराष्ट्र में चल रहे मराठी भाषा विवाद पर अपनी स्थिति स्पष्ट की है. दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक के समापन के बाद, RSS के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने प्रेस वार्ता में विभिन्न मुद्दों पर संगठन का दृष्टिकोण सामने रखा.

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Marathi language dispute: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने महाराष्ट्र में चल रहे मराठी भाषा विवाद पर अपनी स्थिति स्पष्ट की है. दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक के समापन के बाद, RSS के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने प्रेस वार्ता में विभिन्न मुद्दों पर संगठन का दृष्टिकोण सामने रखा. इस दौरान उन्होंने मराठी भाषा विवाद, धर्मांतरण, और मणिपुर की स्थिति जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर खुलकर बात की.

भाषा विवाद पर RSS की भूमिका

सुनील आंबेकर ने मराठी भाषा विवाद पर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, "भारत की सभी भाषाएं राष्ट्रीय भाषा हैं. संघ की यह लंबे समय से स्थापित नीति है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए." उन्होंने जोर देकर कहा कि भाषा समाज को जोड़ने का माध्यम है, और इसे विवाद का विषय नहीं बनाना चाहिए. यह बयान महाराष्ट्र में मराठी और गैर-मराठी भाषियों के बीच चल रहे तनाव के बीच आया है, जिसे उन्होंने संतुलित दृष्टिकोण से हल करने की बात कही.

धर्मांतरण पर कड़ा रुख

धर्मांतरण के मुद्दे पर आंबेकर ने स्पष्ट किया कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पूजा पद्धति का अधिकार है, लेकिन लालच या षडयंत्र के जरिए धर्म परिवर्तन कराना पूरी तरह गलत है. उन्होंने कहा, "समाज स्वाभाविक रूप से ऐसे प्रयासों का विरोध करता है, और संघ भी इस तरह के कृत्यों के खिलाफ खड़ा है." यह बयान धर्मांतरण के खिलाफ संघ के सख्त रुख को दर्शाता है.

मणिपुर और नक्सलवाद पर विचार

मणिपुर की स्थिति पर चर्चा करते हुए आंबेकर ने कहा कि वहां धीरे-धीरे हालात सामान्य हो रहे हैं. उन्होंने नक्सलवाद पर भी टिप्पणी की और कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से समाज में बदलाव लाना जरूरी है. नक्सल हिंसा को समाप्त करने की दिशा में हो रही कार्रवाइयों को उन्होंने सकारात्मक बताया.

संघ पर प्रतिबंध के सवाल पर जवाब

कांग्रेस द्वारा संघ पर प्रतिबंध लगाने की मांग पर आंबेकर ने कहा कि पहले भी संघ पर प्रतिबंध लगाया गया था, जो बाद में गैरकानूनी साबित हुआ. उन्होंने जोर देकर कहा कि संघ एक सामाजिक संगठन है, जो देशहित में कार्य करता है. आपातकाल के दौरान संविधान पर हुए अत्याचार का जिक्र करते हुए आंबेकर ने कहा कि नई पीढ़ी को इसकी सच्चाई जाननी चाहिए. उन्होंने संविधान में समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता जैसे शब्दों को जोड़े जाने की परिस्थितियों पर भी चर्चा की.