पूरे देश में राम नवमी की धूम! राम लला के माथे पर लगा सूर्य तिलक

राम नवमी के मौके पर पूरे देश में धूम है. हालांकि राम नगरी में इस मौके पर खास आयोजन किया गया है. आज इस खास मौके पर राम लला को सूर्य तिलक लगाया गया. सूर्य तिलक से पहले राम लला को राजसी पोशाक और चमकदार आभूषण पहनाए गए.

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Courtesy: Social Media

Ram Lalla Surya Tilak: राम नवमी के मौके पर पूरे देश में धूम है, हालांकि अयोध्या में खास आयोजन किए गए हैं. इस मौके पर एक बार फिर राम लला को सूर्य तिलक लगा. राम लला की मूर्ति के माथे पर सीधी सूर्य की किरण पड़ी.

इस आध्यात्मिक और खगोलीय घटना ने भगवान श्री राम के प्रतीकात्मक जन्म को चिह्नित किया. देवता के चेहरे को एक सुनहरी चमक में नहलाया और मंत्रों, घंटियों और असीम भक्ति के साथ वातावरण को रोमांचित किया.

राम मंदिर में भक्तों का सैलाब

रामनवमी के मौके पर सुबह से ही हजारों भक्त राम मंदिर परिसर में उमड़ पड़े, और लाखों लोग लाइव प्रसारण के माध्यम से अयोध्या में राम नवमी समारोह का आध्यात्मिक आकर्षण बन गए हैं. मंदिर परिसर वैदिक भजनों और शंख की लयबद्ध ध्वनि से गूंज उठा, जबकि पुजारियों द्वारा उत्साहपूर्ण मंत्रोच्चार के बीच राम लला का भव्य अभिषेक हुआ. 

राम लला को दूसरी बार सूर्य तिलक

सूर्य तिलक से पहले राम लला को राजसी पोशाक और चमकदार आभूषण पहनाए गए. सूर्य की एक किरण ने राम लला के माथे को रोशन किया, जिससे एक दिव्य तिलक का आभास हुआ. यह घटना इस घटना की दूसरी वार्षिक घटना को चिह्नित करती है. इसकी ऐतिहासिक शुरुआत 17 अप्रैल, 2024 को हुई थी. जब इसे पहली बार नवनिर्मित राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा वर्ष के दौरान दोपहर 12:16 बजे सफलतापूर्वक आयोजित किया गया था. सूर्य तिलक वर्षों की वैज्ञानिक योजना और वास्तुशिल्प प्रतिभा का परिणाम है. 

प्राचीन परंपरा को फिर दोहराया 

वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की एक टीम ने लेंस, दर्पण, पीतल के पाइप और मोटर चालित संरेखण उपकरणों की एक उच्च-सटीक प्रणाली तैयार की. जो 3.5 सेमी एपर्चर के माध्यम से सूर्य के प्रकाश को निर्देशित करती है. जिससे हर साल राम नवमी पर किरण राम लला के माथे पर सटीक रूप से पड़ती है. यह पूरी प्रक्रिया विज्ञान और आध्यात्मिकता का सामंजस्यपूर्ण मिश्रण है. जो मंदिर वास्तुकला की भारत की प्राचीन परंपरा को प्रदर्शित करती है, जहां आकाशीय संरेखण अभिन्न अंग थे. कोणार्क सूर्य मंदिर और मोढेरा सूर्य मंदिर जैसे ऐतिहासिक मंदिरों में भी इसी तरह के सौर संरेखण पाए जाते हैं और राम मंदिर में सूर्य तिलक इस कालातीत विरासत को पुनर्जीवित करता है.