जम्मू-कश्मीर में पंचायत चुनावों का ऐलान, सियासत में बढ़ी राजनीतिक हलचल

जम्मू-कश्मीर में सियासी हलचल एक बार फिर तेज हो गई है. मंगलवार, 5 अगस्त 2025 को जम्मू-कश्मीर चुनाव आयोग ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि पंचायत चुनाव नवंबर 2025 के बाद आयोजित किए जाएंगे. इसके लिए तैयारियां शुरू हो चुकी हैं.

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Jammu Kashmir Panchayat Election: जम्मू-कश्मीर में सियासी हलचल एक बार फिर तेज हो गई है. मंगलवार, 5 अगस्त 2025 को जम्मू-कश्मीर चुनाव आयोग ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि पंचायत चुनाव नवंबर 2025 के बाद आयोजित किए जाएंगे. इसके लिए तैयारियां शुरू हो चुकी हैं.

आयोग ने बताया कि अंतिम मतदाता सूची के अपडेट होने के बाद पंचायत चुनाव की तारीखों का ऐलान किया जाएगा. तारीखों की घोषणा के साथ ही आचार संहिता लागू हो जाएगी, और सभी संबंधित विभागों को आवश्यक निर्देश जारी कर दिए गए हैं. इस घोषणा ने केंद्र शासित प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है.

पंचायत चुनाव की तैयारियां शुरू

जम्मू-कश्मीर में पंचायत चुनाव की घोषणा ऐसे समय में हुई है, जब अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के छह साल पूरे हो चुके हैं. चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन के बाद ही पंचायत चुनाव की तारीखें तय की जाएंगी. इस प्रक्रिया को पारदर्शी और व्यवस्थित बनाने के लिए सभी विभागों को तैयार रहने के आदेश दिए गए हैं. इस कदम से स्थानीय स्तर पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने की उम्मीद जताई जा रही है.

राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग

पंचायत चुनाव की घोषणा के साथ ही जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग ने फिर जोर पकड़ा है. 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटाए जाने और राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद से ही यह मुद्दा चर्चा में रहा है.

विभिन्न राजनीतिक दलों और संगठनों ने इस मांग को लेकर अपनी आवाज बुलंद की है. मंगलवार को जम्मू में कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस, और पीडीपी के कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया. इन दलों ने सर्वदलीय संयुक्त मोर्चा (एपीयूएम) के साथ मिलकर 5 अगस्त को ‘काला दिवस’ के रूप में मनाया.

सर्वदलीय संयुक्त मोर्चा का प्रदर्शन

सर्वदलीय संयुक्त मोर्चा (एपीयूएम) विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक संगठनों का एक गठबंधन है, जो जम्मू-कश्मीर के गौरव और पहचान को बहाल करने के लिए सक्रिय है. इस मोर्चे के तहत, प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी president रमन भल्ला, पूर्व मंत्री लाल सिंह, और तरनजीत सिंह टोनी ने जम्मू में तवी पुल पर महाराजा हरि सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. हमारा लक्ष्य डोगरा राज्य के गौरव और वैभव को पुनः स्थापित करना है, जिसे 5 अगस्त 2019 को बीजेपी ने नष्ट कर दिया था.”

बीजेपी पर ‘रिमोट कंट्रोल’ प्रशासन का आरोप

कांग्रेस प्रवक्ता रविंदर शर्मा ने बीजेपी पर तीखा हमला बोला. शर्मा ने कहा, “पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर विधानसभा चुनाव हुए, लेकिन चुनी हुई सरकार को काम करने की आजादी नहीं दी जा रही. बीजेपी हार के बावजूद उपराज्यपाल के जरिए शासन कर रही है, जिससे जनता परेशान है.”

सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी का आरोप

कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा ‘जल्द से जल्द’ बहाल करने का निर्देश दिया था. राजौरी में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की रैली को पुलिस ने रोक दिया, और विधायक इफ्तिखार अहमद सहित कई कार्यकर्ताओं को कुछ समय के लिए हिरासत में लिया गया.

जम्मू-कश्मीर में पंचायत चुनाव की घोषणा और राज्य के दर्जे की मांग ने सियासी माहौल को और गर्म कर दिया है. जहां एक ओर स्थानीय चुनाव लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में कदम हैं, वहीं दूसरी ओर राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग ने केंद्र और विपक्ष के बीच तनाव बढ़ा दिया है.