राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विवादास्पद टैरिफ नीति से जुड़े एक ऐतिहासिक मामले की सुनवाई 5 नवंबर को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में शुरू होगी. इस महत्वपूर्ण मामले में भारतीय मूल के जाने-माने वकील नील कत्याल अदालत में पेश होंगे. इस सुनवाई में यह तय होगा कि अमेरिकी राष्ट्रपति को टैरिफ लगाने का अधिकार होगा या नहीं और देश की व्यापार नीति पर अंतिम नियंत्रण किसका होगा.
यह मामला 1977 के इंटरनेशनल इमरजेंसी इकनॉमिक पावर्स एक्ट (IEEPA) से जुड़ा है. आरोप है कि ट्रंप ने इसी कानून के तहत अपनी सीमाओं से परे जाकर कार्रवाई की. यह कानून केवल विदेश मामलों से जुड़ी आपात स्थितियों में राष्ट्रपति को सीमित अधिकार देता है. अगर अदालत का फैसला ट्रंप के खिलाफ आता है, तो इससे राष्ट्रपति की विदेशी व्यापार नीतियों पर लगाम लग सकती है और उनके एक प्रमुख औजार, टैरिफ लगाने की शक्ति पर नियंत्रण संभव है.
ट्रंप का दावा और बयान
सुनवाई से पहले ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर कहा कि “अगर हम जीतते हैं तो अमेरिका दुनिया का सबसे अमीर और सबसे सुरक्षित देश बन जाएगा, लेकिन अगर हम हार गए, तो हमारा देश तीसरी दुनिया के स्तर तक गिर सकता है. भगवान से प्रार्थना करें कि ऐसा न हो.” 54 वर्षीय नील कात्याल ओबामा प्रशासन के दौरान अमेरिका के कार्यवाहक सॉलिसिटर जनरल रह चुके हैं.
वह अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में 50 से अधिक बार पैरवी कर चुके हैं और देश के सबसे अनुभवी वकीलों में गिने जाते हैं. इस मामले में वे छोटे व्यापारियों और डेमोक्रेटिक-शासित राज्यों के गठबंधन की ओर से दलील देंगे, जो ट्रंप की टैरिफ नीति को असंवैधानिक मानते हैं. कात्याल ने 20 अक्टूबर को दाखिल अपने दस्तावेज में लिखा था, “राष्ट्रपति का यहां जो अधिकार का दावा है, वह चौंकाने वाला है. IEEPA में कहीं भी टैरिफ का उल्लेख नहीं है, और पिछले 50 वर्षों में किसी भी राष्ट्रपति ने इस कानून का इस तरह इस्तेमाल नहीं किया है.”
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, वादियों के वकीलों के बीच सिक्का उछालकर तय किया गया कि अदालत में दलील कौन देगा और नतीजा नील कात्याल के पक्ष में गया. इलिनॉय की लर्निंग रिसोर्सेज इंक के सीईओ रिक वोल्डेनबर्ग ने कहा कि इतने महत्वपूर्ण मुकदमे में नील का प्रतिनिधित्व करना उनके लिए गर्व की बात है.
शिक्षा और पृष्ठभूमि
नील कात्याल ने येल लॉ स्कूल से पढ़ाई की. उनके माता-पिता भारत से प्रवास कर अमेरिका पहुंचे थे. पिता इंजीनियर और माता डॉक्टर थीं. कात्याल शिकागो में जन्मे और उन्होंने ट्रंप प्रशासन की कई नीतियों, जिनमें 2017 का ट्रैवल बैन भी शामिल है, का विरोध किया था. कात्याल की टीम का कहना है कि यह मामला राजनीति का नहीं, बल्कि संवैधानिक संतुलन का है. ताकि किसी एक व्यक्ति के हाथों में अमेरिका की आर्थिक दिशा का पूरा नियंत्रण न रहे.