नई दिल्ली: लद्दाख में हाल की हिंसा और उसके बाद की कानूनी कार्रवाई को लेकर बड़ा मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सोनम वांगचुक की पत्नी गीतान्जलि जे अंगमो द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई करेगा जिसमें जलवायु कार्यकर्ता वांगचुक की राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम यानी NSA के तहत हुई गिरफ्तारी को अवैध और मनमाना बताया गया है.
याचिका में कहा गया है कि यह कदम उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. सुनवाई जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन वी अंजारिया की बेंच के सामने होगी. इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने 29 अक्टूबर को केंद्र और लद्दाख प्रशासन से इस मामले में जवाब मांगा था.
इससे दो दिन पहले लद्दाख में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग को लेकर लेह में हिंसक प्रदर्शन हुए थे जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी और 90 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. प्रशासन का आरोप है कि वांगचुक ने इन प्रदर्शनों को उकसाया था. गिरफ्तारी के बाद उन्हें राजस्थान के जोधपुर जेल भेज दिया गया और NSA के तहत बुक किया गया जिसके तहत किसी भी व्यक्ति को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानते हुए 12 महीने तक हिरासत में रखा जा सकता है.
अंगमो की संशोधित याचिका में कहा गया है कि वांगचुक की गिरफ्तारी पुराने मामलों, अस्पष्ट आरोपों और अनुमान आधारित दावों पर आधारित है और इनका वास्तविक घटनाओं से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं है. इसलिए उनकी गिरफ्तारी का कोई कानूनी आधार नहीं है. याचिका में यह भी कहा गया है कि वांगचुक पिछले तीन दशकों से शिक्षा और पर्यावरण के क्षेत्र में अपना योगदान दे रहे हैं.
उनके खिलाफ कई कार्रवाई जैसे जमीन लीज रद्द करने की नोटिस, एफसीआरए रद्द, सीबीआई जांच और इनकम टैक्स की पूछताछ एक योजनाबद्ध तरीके से की गई है ताकि उनकी आवाज को दबाया जा सके. याचिका में यह भी उल्लेख है कि वांगचुक ने सोशल मीडिया पर हिंसा की निंदा करते हुए इसे अपने जीवन का सबसे दुखद दिन बताया था और कहा था कि इस तरह के घटनाक्रम लद्दाख की पांच साल से चल रही शांतिपूर्ण तपस्या को कमजोर करेंगे.
इसके अलावा याचिका में कहा गया है कि गिरफ्तारी के पूरे आधार उन्हें 28 दिन बाद बताए गए जबकि NSA की धारा 8 के तहत यह जानकारी पांच दिनों के भीतर देना आवश्यक है. सुप्रीम कोर्ट ने 6 अक्टूबर को भी एक हेबियस कॉर्पस याचिका पर केंद्र और लद्दाख प्रशासन को नोटिस जारी किया था जिसमें वांगचुक की तत्काल रिहाई की मांग की गई थी.
हालांकि सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कानून के अनुसार कार्रवाई की गई है. वहीं गीतान्जलि अंगमो ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भी पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की है और पुलिस कार्रवाई को औपनिवेशिक दौर जैसी दमनकारी नीति बताया है. उन्होंने कहा कि लद्दाख में लोगों को आवाज उठाने पर प्रताड़ित किया जा रहा है.