सरकार ने वापस लिया आयकर विधेयक 2025, 11 अगस्त को पेश होगा नया संस्करण

भारत सरकार ने आज यानी शुक्रवार को औपचारिक रूप से आयकर विधेयक 2025 को वापस ले लिया है. जिसे इस साल 13 फरवरी को लोकसभा में छह दशक पुराने आयकर अधिनियम, 1961 के स्थान पर पेश किया गया था.

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भारत सरकार ने आज यानी शुक्रवार को औपचारिक रूप से आयकर विधेयक 2025 को वापस ले लिया है. जिसे इस साल 13 फरवरी को लोकसभा में छह दशक पुराने आयकर अधिनियम, 1961 के स्थान पर पेश किया गया था. यह फैसला बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली संसदीय प्रवर समिति द्वारा पेश की गई रिपोर्ट के बाद लिया गया है. जिसमें इसकी समीक्षा के बाद कई महत्वपूर्ण बदलाव सुझाए गए. 

आयकर विधेयक 2025 को इसी साल फरवरी में पुराने आयकर अधिनियम, 1961 को प्रतिस्थापित करने के लिए तैयार किया गया था. पुराने अधिनियम ने लगभग 6 दशक तक देश के आयकर नियमों को नियंत्रित किया था. इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य भारत के प्रत्यक्ष कर कानून को सरल बनाना, उसे समझना आसान बनाना और कानूनी जटिलताओं को कम करना था. 

नए आयकर के दो सुझाव

आयकर विधेयक में, प्रवर समिति ने अपने घरों से आय अर्जित करने वाले नागरिकों के लिए दो महत्वपूर्ण बदलावों का सुझाव दिया था. पहला 30% मानक कटौती, जो नगरपालिका कर कटौती के बाद पहले से ही अनुमत है, का संशोधित आयकर विधेयक कानून में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए. इस विधेयक में प्रावधानों को सरल बनाने, छूटों को युक्तिसंगत बनाने और परिभाषाओं को फिर से तैयार करने का प्रयास किया गया था. साथ ही उन खामियों को दूर करने का भी प्रयास किया गया था जिनके कारण अक्सर कर चोरी या लंबे कानूनी विवाद होते रहे हैं. इसका उद्देश्य आधुनिक डिजिटल अर्थव्यवस्था की आवश्यकताओं को पूरा करना भी था. जिसमें आभासी डिजिटल संपत्तियों, क्रिप्टोकरेंसी और सीमा पार डिजिटल लेनदेन से होने वाली आय पर कर लगाने के लिए बेहतर ढांचे शामिल थे.

नया आयकर विधेयक क्यों वापस लिया गया?

 आयकर विधेयक, 2025 का मसौदा संसदीय प्रवर समिति को भेजा गया था, जिसे प्रस्तावित कानून की विस्तृत जांच करने का कार्य सौंपा गया था. समिति ने विशेषज्ञों, हितधारकों और नीति निर्माताओं के साथ गहन विचार-विमर्श के बाद, विधेयक के कई प्रमुख क्षेत्रों में बदलावों का सुझाव देते हुए कुछ सिफ़ारिशें प्रस्तुत कीं. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संकेत दिया कि इनमें से कई सिफारिशें रचनात्मक और आवश्यक थीं. इन बदलावों को सार्थक रूप से प्रतिबिंबित करने के लिए, सरकार ने विधेयक के मौजूदा संस्करण को वापस लेने और एक संशोधित, अद्यतन संस्करण पेश करने का निर्णय लिया.