Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि का पांचवां दिन विशेष रूप से मां स्कंदमाता के समर्पित होता है. मां स्कंदमाता को मातृत्व, करुणा और शक्ति की देवी माना जाता है. उन्हें दुर्गा माता का रूप माना जाता है, जिन्होंने भगवान कार्तिकेय (स्कंद) को जन्म दिया, जो देवताओं के सेनापति बने. मां स्कंदमाता की उपासना से न केवल संतान सुख मिलता है, बल्कि परिवार में सुख-शांति भी बनी रहती है.
नवरात्रि के इस दिन विशेष रूप से दंपति जिन्हें संतान सुख की प्राप्ति में कठिनाई हो, वे सच्चे मन से मां स्कंदमाता की पूजा करें. माना जाता है कि इस दिन पूजा करने से जल्द ही संतान का आशीर्वाद मिलता है और पारिवारिक जीवन में खुशहाली आती है.
मां स्कंदमाता के चार भुजाएं होती हैं और वह अपने गोद में भगवान स्कंद को विराजमान करती हैं. उनके दाहिने हाथ में कमल का फूल और बाईं तरफ उन्हें सिंह पर बैठे हुए दर्शाया जाता है. वह कमल के आसन पर विराजित होती हैं, इसलिए उन्हें 'पद्मासना देवी' भी कहा जाता है. यह रूप भक्तों को ज्ञान, बुद्धि और वैराग्य प्रदान करता है, साथ ही संतान सुख की प्राप्ति में मदद करता है.
पौराणिक कथा के अनुसार, जब राक्षस तारकासुर के अत्याचार से त्रस्त होकर देवताओं ने भगवान ब्रह्मा से मदद मांगी, तब ब्रह्मा जी ने कहा कि तारकासुर का वध केवल भगवान शिव के पुत्र से ही हो सकता है. भगवान शिव उस समय योग निद्रा में थे, लेकिन देवी पार्वती ने अपनी शक्ति से भगवान कार्तिकेय (स्कंद) को जन्म दिया.
मां पार्वती ने भगवान स्कंद को युद्ध की शिक्षा दी और उन्हें देवताओं का सेनापति बनाया. उन्होंने भगवान स्कंद को सिंह पर सवार करके युद्धभूमि में भेजा. भगवान स्कंद ने अपनी माता के आशीर्वाद से तारकासुर का वध किया और देवताओं को विजय दिलाई. स्कंदमाता की पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और जीवन में हर इच्छा पूरी होती है. इस नवरात्रि में मां स्कंदमाता की पूजा से सभी तरह की परेशानियां दूर होती हैं और जीवन में शांति और समृद्धि आती है.
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