'डरो मत इंकम टैक्स वाले नहीं आएंगे', PM मोदी ने केरल के इस व्यक्ति से क्यों कही ये बात?

पीएम मुद्रा योजना के 10 साल पूरे होने के उपलक्ष्य पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक वीडियो शेयर किया. जिसमें उन्होंने लिखा कि मैंने पूरे भारत से मुद्रा लाभार्थियों को अपने आवास पर आमंत्रित किया था. उन्होंने इस योजना के बारे में रोचक जानकारियां साझा की है.

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Courtesy: Social Media

PM Modi Mudra Yojana: प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) के 10 साल पूरे हो गए. इस खास मौके पर पीएम मोदी ने इसके लाभार्थियों के समूह से मुलाकात की. जिसमें उन्हें एक लाभार्थी के साथ हंसते देखा गया. इस दौरान उन्होंने मजाकिया ढंग से कहा कि इस योजना के कारण उनकी आय में जो बेतहाशा वृद्धि होगी, उसे उजागर करने पर उन्हें आयकर विभाग की परेशानी नहीं होगी.

पीएम मोदी ने इस खास मौके पर सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर किया. जिसमें उन्होंने लिखा कि मुद्रा योजना के 10 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में मैंने पूरे भारत से मुद्रा लाभार्थियों को अपने आवास पर आमंत्रित किया था. उन्होंने इस योजना के बारे में रोचक जानकारियां साझा कीं कि कैसे इस योजना ने उनके जीवन को बदल दिया है.

सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल

लाभार्थियों और पीएम मोदी के बीच काफी बातचीत हुई. हालांकि इस बीच का एक पल काफी खास रहा. केरल के एक व्यक्ति इस योजना के तहत मिले ऋण और उससे हुए फायदे के बारे में बात कर रहा था. तभी पीएम मोदी ने उस व्यक्ति से पूछा कि वह अब एक महीने में कितना कमा रहा है, जिस पर वह थोड़ा रुक गया. जिसके बाद पीएम मोदी ने मजाकिया ढ़ंग में कहा कि "डरो मत, इनकम टैक्स वाला नहीं आएगा. पीएम मोदी की इस बात को सुनकर वहां मौजूद लोग हंस पड़े. जिसके बाद उस व्यक्ति ने बताया कि वह हर महीने लगभग 2.5 लाख रुपये कमा रहा है.

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के लाभ

लाभार्थी गोपी किशन एक उद्यमी हैं. इन्होंने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में अपनी नौकरी छोड़ कर अपने देश में छत पर सोलर पैनल लगाने का व्यवसाय शुरू किया. उन्होंने बताया कि मुद्रा योजना ने उनकी यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने कहा कि इसने उन्हें एक सफल उद्यमी बनने में मदद की है. केरल के निवासी ने आगे बताया कि इस योजना ने उनके व्यवसाय के विकास में बहुत योगदान दिया है और कई रोजगार के अवसर पैदा किए हैं. जब प्रधानमंत्री ने पूछा कि क्या उनकी मां उनके भारत लौटने के फैसले से परेशान हैं, तो उद्यमी ने जवाब दिया कि अंत में सब कुछ ठीक हो गया. इस योजना के तहत सदस्य ऋण संस्थानों (एमएलआई) के माध्यम से 20 लाख रुपये तक के संपार्श्विक-मुक्त संस्थागत ऋण की पेशकश करने के लिए डिजाइन किया गया था.