'किसानों के पास कोई काम नहीं…’, बिहार में सुपारी किलर पर नकेल! क्राइम रेट बढ़ने पर बोले ADG

बिहार में हाल के दिनों में बढ़ती आपराधिक घटनाओं, खासकर सुपारी किलर से जुड़े अपराधों ने पुलिस प्रशासन को सख्त कदम उठाने के लिए मजबूर किया है. बिहार पुलिस ने अब सुपारी किलर की पहचान और निगरानी के लिए एक विशेष डाटाबेस तैयार करने की योजना बनाई है.

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Bihar ADG statement: बिहार में हाल के दिनों में बढ़ती आपराधिक घटनाओं, खासकर सुपारी किलर से जुड़े अपराधों ने पुलिस प्रशासन को सख्त कदम उठाने के लिए मजबूर किया है. बिहार पुलिस ने अब सुपारी किलर की पहचान और निगरानी के लिए एक विशेष डाटाबेस तैयार करने की योजना बनाई है. यह जानकारी बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एडीजी (मुख्यालय) कुंदन कृष्णन ने दी. इस लेख में हम बिहार पुलिस के इस अभियान और अपराध नियंत्रण के लिए उठाए जा रहे अन्य कदमों पर विस्तार से चर्चा करेंगे.

सुपारी किलर के लिए विशेष निगरानी सेल

बिहार पुलिस ने सुपारी किलर की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए विशेष कार्य बल (एसटीएफ) के तहत एक निगरानी सेल का गठन किया है. यह सेल सुपारी किलरों का पूरा ब्यौरा जुटाएगी, जिसमें उनका नाम, पता, फोटो और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी शामिल होगी.

इस डाटाबेस के जरिए पुलिस को किसी भी आपराधिक घटना में शामिल सुपारी किलर की पहचान करने में आसानी होगी. एडीजी कुंदन कृष्णन ने बताया कि कई युवा पैसे के लालच में सुपारी लेकर हत्या जैसी संगीन वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. इन युवाओं को सही दिशा में लाने के लिए सामाजिक और सामुदायिक प्रयासों की आवश्यकता है.

कोढ़ा और तिवारी गैंग पर विशेष नजर

बिहार में कोढ़ा गैंग और बेगूसराय के तिवारी गैंग जैसे संगठित अपराधी समूहों पर काबू पाने के लिए पुलिस ने एक विशेष कोढ़ा सेल का गठन किया है. यह सेल इन गिरोहों के सदस्यों को पकड़ने और उनकी गतिविधियों को रोकने पर केंद्रित है. एडीजी ने बताया कि इन गैंग्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है, ताकि बिहार में संगठित अपराध को जड़ से खत्म किया जा सके.

नशा कारोबार पर सख्ती के लिए नारकोटिक्स सेल

नशा कारोबार को नियंत्रित करने के लिए बिहार पुलिस ने एटीएफ (एंटी-टेररिस्ट फोर्स) के तहत एक नारकोटिक्स सेल बनाया है. इस सेल का उद्देश्य नशे के अवैध व्यापार पर नकेल कसना और थानों के साथ बेहतर समन्वय स्थापित करना है.

सेल की क्षमता बढ़ाने के लिए अधिकारियों और कर्मचारियों की संख्या में भी वृद्धि की जा रही है. यह कदम बिहार में मादक पदार्थों के अवैध कारोबार को रोकने में महत्वपूर्ण साबित होगा.

फास्ट ट्रैक कोर्ट की वापसी

एडीजी कुंदन कृष्णन ने बताया कि संगीन और हिंसक अपराधों में शामिल अपराधियों को जल्द सजा दिलाने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना फिर से शुरू करने की योजना है. इसके लिए गृह विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है. पहले 2012-13 में फास्ट ट्रैक कोर्ट की मदद से हर साल 2,000 से 3,000 अपराधियों को उम्रकैद जैसी सजा दिलाई जाती थी. वर्तमान में यह संख्या घटकर 500-600 रह गई है. फास्ट ट्रैक कोर्ट की वापसी से अपराधियों को जल्द सजा दिलाने में मदद मिलेगी.

अवैध संपत्ति पर शिकंजा

पुलिस ने 1,290 ऐसे अपराधियों को चिह्नित किया है, जिन्होंने आपराधिक गतिविधियों से अकूत संपत्ति अर्जित की है. इनकी संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी. इसके अलावा, अवैध हथियार या लाइसेंसी हथियार के साथ पकड़े गए नाबालिगों के अभिभावकों को भी सजा का प्रावधान किया गया है. यह कदम अपराधियों को कड़ा संदेश देगा.

अपराध की स्थिति और नक्सल गतिविधियां

एडीजी ने स्पष्ट किया कि बिहार में अपराध की घटनाएं बढ़ी नहीं हैं. इस साल मई-जून में पिछले साल की तुलना में कम वारदातें दर्ज की गई हैं. हालांकि, अप्रैल-जून के महीनों में हत्याओं की संख्या बढ़ जाती है, क्योंकि इस दौरान किसानों के पास काम कम होता है. नक्सल गतिविधियों पर भी प्रभावी नियंत्रण पाया गया है. गया, औरंगाबाद, मुंगेर और जमुई जैसे क्षेत्रों में नक्सलियों का लगभग सफाया हो चुका है. इस साल अब तक 82 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है.

हाल की सफलताएं

पुलिस ने दानापुर ज्वेलरी शॉप लूट, आरा में तनिष्क लूट और समस्तीपुर में महाराष्ट्र बैंक लूट जैसी बड़ी वारदातों में शामिल अपराधियों को गिरफ्तार किया है. एसटीएफ की विशेष खुफिया जानकारी के आधार पर कई लूट की घटनाओं को होने से पहले ही रोका गया है.

इस साल जनवरी से अब तक 700 से अधिक अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है. बिहार पुलिस का यह नया अभियान सुपारी किलर, संगठित अपराध और नशा कारोबार पर नकेल कसने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. डाटाबेस, विशेष सेल और फास्ट ट्रैक कोर्ट जैसे कदम अपराध नियंत्रण में नई उम्मीद जगाते हैं.