मृत्यु के बाद भी ITR फाइल करना क्यों है जरूरी? जानें प्रक्रिया और कानूनी जिम्मेदारी

किसी व्यक्ति की मृत्यु तक उसकी कमाई कर योग्य आय मानी जाती है. इस आय पर टैक्स की गणना और रिटर्न दाखिल करने की जिम्मेदारी कानूनी उत्तराधिकारी पर होती है.

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ITR Filing: इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करना प्रत्येक नागरिक की कानूनी जिम्मेदारी है. यह न केवल टैक्स अनुपालन सुनिश्चित करता है, बल्कि रिफंड प्राप्त करने, लोन स्वीकृति और क्रेडिट स्कोर सुधार में भी सहायता करता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद भी उसका ITR फाइल करना अनिवार्य हो सकता है? आइए जानते हैं क्यों और कैसे.

मृतक का ITR फाइल करने की आवश्यकता

किसी व्यक्ति की मृत्यु तक उसकी कमाई कर योग्य आय मानी जाती है. इस आय पर टैक्स की गणना और रिटर्न दाखिल करने की जिम्मेदारी कानूनी उत्तराधिकारी पर होती है. यदि यह जिम्मेदारी न निभाई जाए, तो इनकम टैक्स विभाग से नोटिस जारी हो सकता है, जिससे परिवार को कानूनी परेशानी हो सकती है. इसके अलावा, मृतक के नाम पर TDS कटौती होने पर रिफंड का दावा करने के लिए भी ITR फाइल करना जरूरी है.

कानूनी उत्तराधिकारी की भूमिका

ITR फाइल करने से पहले, आपको इनकम टैक्स पोर्टल पर कानूनी उत्तराधिकारी के रूप में पंजीकरण करना होगा. कानूनी उत्तराधिकारी आमतौर पर परिवार का सदस्य होता है, जैसे पति/पत्नी, बेटा/बेटी या नजदीकी रिश्तेदार. यदि मृतक ने वसीयत बनाई है, तो उसमें नामित व्यक्ति को प्राथमिकता दी जाती है.

मृतक के लिए ITR फाइल करने की प्रक्रिया

पंजीकरण: इनकम टैक्स ई-फाइलिंग पोर्टल पर मृतक के कानूनी उत्तराधिकारी के रूप में रजिस्टर करें. मृतक का पैन नंबर, जन्म और मृत्यु तिथि, और आपका पैन नंबर दर्ज करें.

दस्तावेज अपलोड: डेथ सर्टिफिकेट, सक्सेशन सर्टिफिकेट, वसीयत, और एफिडेविट जैसे दस्तावेज अपलोड करें.

आवेदन समीक्षा: टैक्स विभाग आपके आवेदन की जांच करेगा. स्वीकृति के बाद आप ITR फाइल कर सकेंगे.

मृतक का ITR फाइल करना न केवल कानूनी जिम्मेदारी है, बल्कि यह परिवार को रिफंड और कानूनी सुरक्षा भी प्रदान करता है. समय पर यह प्रक्रिया पूरी करें और अनावश्यक परेशानियों से बचें.