Trump Taliban threat: दुनिया भर में चल रही जंगों के बीच साउथ एशिया में एक नया संकट पैदा हो सकता है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को अफगानिस्तान के तालिबान शासन को कड़ा संदेश दिया है. बगराम एयरबेस को अमेरिका को सौंपने की मांग पूरी न करने पर 'गंभीर परिणाम' होने की चेतावनी जारी की गई है.
ट्रंप की यह धमकी अफगानिस्तान को फिर से युद्ध की आग में झोंक सकती है, जहां पहले ही तालिबान ने 2021 में अमेरिकी सेना को खदेड़ दिया था. विशेषज्ञों का मानना है कि यह अमेरिका की ओर से नया सैन्य मोर्चा खोलने का संकेत हो सकता है.
ट्रंप की चेतावनी का पूरा ब्योरा
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर पोस्ट साझा कर कहा, "अगर अफगानिस्तान बगराम एयरबेस को उसके मूल निर्माताओं यानी अमेरिका को वापस नहीं करता, तो बहुत बुरी चीजें होने वाली हैं." यह बयान शुक्रवार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के साथ बैठक के बाद आया, जहां ट्रंप ने बगराम पर दोबारा कब्जे की इच्छा जाहिर की थी.
ट्रंप का दावा है कि बाइडेन प्रशासन ने 2021 में बेस छोड़कर 'बड़ी भूल' की, जिससे चीन को फायदा हो गया. हालांकि, तालिबान ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. एक अफगान अधिकारी ने कहा, "अमेरिकी सेना की वापसी के बाद बगराम हमारे नियंत्रण में है, और चीन की कोई सैन्य मौजूदगी नहीं है."
ट्रंप की यह चेतावनी सैन्य कार्रवाई का इशारा देती है. पूर्व अमेरिकी अधिकारियों ने चिंता जताई है कि बेस पर कब्जा फिर से अफगानिस्तान पर पूर्ण आक्रमण जैसा होगा. रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, इसके लिए 10,000 से अधिक सैनिकों, उन्नत हवाई रक्षा प्रणालियों और भारी हथियारों की जरूरत पड़ेगी.
बगराम एयरबेस का क्या है महत्व
अफगानिस्तान के परवान प्रांत में स्थित बगराम एयरबेस काबुल से महज 40 किलोमीटर दूर है. यह दुनिया के सबसे बड़े सैन्य हवाई अड्डों में शुमार है, जहां अमेरिका ने 2001 से 2021 तक अपनी सेना तैनात रखी. ट्रंप के मुताबिक, यह बेस चीन के न्यूक्लियर केंद्रों के करीब होने से सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है.
बीबीसी की एक जांच में 2020 से 2025 तक के 30 सैटेलाइट इमेजेस का विश्लेषण किया गया, जिसमें तालिबान के कब्जे के बाद बेस पर कम गतिविधि पाई गई, लेकिन चीन की मौजूदगी का कोई सबूत नहीं मिला. तालिबान ने 20 साल की लंबी जद्दोजहद के बाद काबुल पर कब्जा किया था, और अब वे किसी विदेशी हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं करेंगे.
क्या अफगानिस्तान फिर युद्ध की चपेट में?
ट्रंप की धमकी से तालिबान भड़क सकता है. शुक्रवार को ही तालिबान ने अमेरिकी मांग को 'अस्वीकार्य' बताते हुए बयान जारी किया. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में एक अफगान अधिकारी ने कहा कि अमेरिकी सैन्य वापसी के लिए दरवाजा बंद है, लेकिन राजनीतिक और आर्थिक संबंधों पर चर्चा हो सकती है. द गार्जियन के अनुसार, ट्रंप तालिबान से गुप्त बातचीत कर रहे हैं, लेकिन असफलता पर सैन्य विकल्प अपनाने को तैयार हैं.
ट्रंप का यह रुख अमेरिका की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति का हिस्सा लगता है, लेकिन पूर्व अधिकारी इसे 'अफगानिस्तान पर पुनः आक्रमण' बता रहे हैं. द हिल की रिपोर्ट में कहा गया कि इससे साउथ एशिया में अस्थिरता बढ़ेगी, खासकर जब सूडान, मध्य पूर्व और रूस-यूक्रेन जैसे संघर्ष पहले से चल रहे हैं.
एनबीसी न्यूज के मुताबिक, ट्रंप का सपना बगराम को 'फ्री में' वापस लेना है, लेकिन तालिबान इसे कभी नहीं मानेगा. अगर ट्रंप की धमकी पर अमल होता है, तो अफगानिस्तान एक बार फिर खून-खराबे का मैदान बन सकता है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अब हस्तक्षेप की जरूरत है ताकि शांति की उम्मीद बनी रहे.