G20 Summit 2025: दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में 22-23 नवंबर को होने वाले G-20 शिखर सम्मेलन से पहले एक बड़ा भू-राजनीतिक विवाद सामने आया है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को घोषणा की कि उनका देश इस सम्मेलन में शामिल नहीं होगा. उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में G-20 शिखर सम्मेलन आयोजित करना 'पूरी तरह से अपमानजनक' फैसला है.
ट्रंप के इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मचा दी है. यह पहला मौका होगा जब अमेरिका का कोई भी शीर्ष सरकारी प्रतिनिधि G-20 की मेज़ पर मौजूद नहीं रहेगा.
🇺🇸 ट्रंप का तर्क
ट्रंप ने अपने बहिष्कार के फैसले के पीछे दक्षिण अफ्रीका में श्वेत अफ्रीकी किसानों के खिलाफ कथित अत्याचारों का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि “वहां श्वेत किसानों पर हिंसा, उनकी जमीनों की जब्ती और मौतों जैसी घटनाएं लगातार हो रही हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय चुप है.” उनका कहना था कि ऐसे हालात में दक्षिण अफ्रीका को G-20 जैसे वैश्विक सम्मेलन की मेजबानी देना “मानवाधिकार मूल्यों के साथ विश्वासघात” है.
सूत्रों के मुताबिक, इस मुद्दे पर ट्रंप और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा के बीच पहले भी तीखी बहस हो चुकी है. ट्रंप प्रशासन पहले से ही इस मुद्दे पर दक्षिण अफ्रीकी सरकार की आलोचना करता रहा है.
अमेरिका की पुरानी नाराज़गी
ट्रंप प्रशासन ने बीते वर्षों में भी यह आरोप लगाया था कि दक्षिण अफ्रीकी सरकार अल्पसंख्यक श्वेत किसानों के खिलाफ भेदभाव और हिंसा को रोकने में नाकाम रही है. अमेरिका ने तो यहां तक सुझाव दिया था कि शरणार्थियों की वार्षिक सीमा में अधिकतर स्थान “श्वेत दक्षिण अफ्रीकियों” को दिए जाएं, क्योंकि उन्हें अपने देश में उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि, दक्षिण अफ्रीका ने इन सभी आरोपों को “निराधार और राजनीतिक रूप से प्रेरित” बताया है.
भारत में जयराम रमेश का व्यंग्य
अमेरिका के इस बहिष्कार के बाद भारत में भी राजनीतिक प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं. कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने ट्रंप की घोषणा पर टिप्पणी करते हुए कहा, “अब जबकि राष्ट्रपति ट्रंप ने कह दिया है कि वे दक्षिण अफ्रीका में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में नहीं जाएंगे, तो हम निश्चिंत हो सकते हैं कि स्वयंभू विश्वगुरु व्यक्तिगत रूप से इसमें शामिल होंगे. कभी न कभी, कहीं न कहीं...” उनकी यह टिप्पणी अप्रत्यक्ष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर संकेत करती मानी जा रही है, जिन्होंने हाल के वर्षों में कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की उपस्थिति को “वैश्विक नेतृत्व” के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया है.
भारत-अमेरिका संबंधों पर असर
अमेरिका के इस फैसले का असर भारत पर भी पड़ सकता है. दोनों देशों के बीच व्यापारिक टैरिफ और रणनीतिक साझेदारी को लेकर हाल में कुछ मतभेद सामने आए हैं. इस शिखर सम्मेलन में पीएम नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की संभावित मुलाकात की उम्मीद जताई जा रही थी, जो अब रद्द हो गई है. यह विकास भारत-अमेरिका कूटनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकता है.
जी-20 सम्मेलन पर एक नजर
G-20 शिखर सम्मेलन 2025 का आयोजन इस बार जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका में होने जा रहा है. यह पहली बार है जब अफ्रीकी महाद्वीप किसी G-20 बैठक की मेजबानी करेगा. सम्मेलन का मुख्य एजेंडा विविधता, समावेशिता और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर केंद्रित रहेगा. हालांकि, इसी विषय के कारण इस साल की शुरुआत में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने G-20 विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया था.
ट्रंप के इस फैसले से न केवल अमेरिका की वैश्विक भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं, बल्कि यह भी देखा जा रहा है कि क्या इस बहिष्कार से G-20 की एकजुटता पर असर पड़ेगा. दक्षिण अफ्रीका ने अभी तक इस विवाद पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन माना जा रहा है कि यह मुद्दा सम्मेलन के दौरान अंतरराष्ट्रीय विमर्श का अहम हिस्सा रहेगा.