Trump Tariff Impact: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वैश्विक स्तर पर रेसिप्रोकल टैरिफ लागू करने की घोषणा की है जो 2 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगी. इस नीति के तहत अमेरिका उन देशों पर टैरिफ लगाएगा जो अमेरिकी आयात पर शुल्क वसूलते हैं और भारत भी इस सूची में शामिल है. अमेरिका भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार होने के नाते इस कदम का भारतीय अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह नीति भारत के प्रमुख सेक्टर्स को प्रभावित कर सकती है.
1. आईटी सेक्टर
भारत का सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र अमेरिकी बाजार पर बहुत हद तक निर्भर है. टीसीएस, इन्फोसिस, विप्रो और एचसीएल जैसी कंपनियां अमेरिका से अपनी आय का बड़ा हिस्सा कमाती हैं. ट्रंप की टैरिफ नीति और एच-1बी वीजा नियमों में संभावित सख्ती से भारतीय आईटी पेशेवरों को अमेरिका में काम करने में दिक्कत होगी. इससे नए प्रोजेक्ट्स हासिल करना मुश्किल हो सकता है. विशेषज्ञों का कहना है 'वीजा नियमों में बदलाव से भारतीय आईटी कंपनियों की लागत बढ़ेगी और उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित होगी.'
2. फार्मास्युटिकल सेक्टर
भारत अमेरिका को जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है. सन फार्मा, डॉ. रेड्डीज, सिप्ला और ल्यूपिन जैसी कंपनियां अमेरिकी बाजार से अरबों डॉलर कमाती हैं. यदि ट्रंप प्रशासन भारतीय दवाओं पर ऊंचा टैरिफ लगाता है तो इनकी कीमतें बढ़ेंगी जिससे निर्यात में कमी आ सकती है. इसके अलावा अगर एफडीए नियमों को और कड़ा किया गया तो भारतीय फार्मा कंपनियों की बाजार पहुंच सीमित हो सकती है. एक विश्लेषक ने कहा 'यह भारत के फार्मा निर्यात के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है.'
3. ऑटोमोबाइल सेक्टर
अमेरिका टाटा मोटर्स, महिंद्रा और मारुति सुजुकी जैसी भारतीय ऑटो कंपनियों के लिए अहम बाजार है. ट्रंप के आयात शुल्क बढ़ाने से इन कंपनियों को अमेरिका में वाहन बेचना महंगा पड़ेगा. इलेक्ट्रिक वाहनों और ऑटो कंपोनेंट्स के निर्यात पर भी असर पड़ सकता है. इससे निवेश में कमी और उत्पादन लागत में वृद्धि की आशंका है. उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, 'ऑटो सेक्टर को नए बाजार तलाशने पड़ सकते हैं.'
4. टेक्सटाइल उद्योग
भारत का टेक्सटाइल और परिधान उद्योग अमेरिका को बड़े पैमाने पर निर्यात करता है. यदि ट्रंप प्रशासन इस सेक्टर पर टैरिफ बढ़ाता है तो भारतीय उत्पादों की कीमतें अन्य देशों जैसे बांग्लादेश और वियतनाम की तुलना में कम प्रतिस्पर्धी हो जाएंगी. इससे निर्यात में गिरावट और रोजगार पर असर पड़ सकता है. एक टेक्सटाइल निर्यातक ने चेतावनी दी 'हमें अपनी रणनीति में बदलाव करना होगा वरना बाजार हिस्सेदारी खो जाएगी.'
5. स्टील और एल्युमिनियम
ट्रंप के पहले कार्यकाल में स्टील और एल्युमिनियम पर टैरिफ बढ़ाया गया था जिससे भारतीय निर्यातकों को नुकसान हुआ था. अब रेसिप्रोकल टैरिफ के तहत यह समस्या फिर से गहरा सकती है. जेएसडब्ल्यू स्टील, टाटा स्टील और सेल जैसी कंपनियों के अमेरिकी निर्यात में कमी आ सकती है. इससे घरेलू बाजार में कीमतों पर दबाव बढ़ेगा और उद्योग की लाभप्रदता प्रभावित होगी.
भारतीय अर्थव्यवस्था पर व्यापक असर
अमेरिका के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार 2023 में लगभग 190 बिलियन डॉलर का था जिसमें भारत का निर्यात 120 बिलियन डॉलर था. टैरिफ बढ़ने से यह संतुलन बिगड़ सकता है जिससे व्यापार घाटा बढ़ेगा और रुपये पर दबाव पड़ेगा. साथ ही रोजगार सृजन और औद्योगिक विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव संभव है.
भारत के लिए क्या हैं विकल्प?
ट्रंप की टैरिफ नीति भारत के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है खासकर आईटी, फार्मा, ऑटो, टेक्सटाइल और स्टील जैसे सेक्टर्स के लिए. हालांकि सही रणनीति और वैश्विक साझेदारियों के जरिए भारत इस संकट से उबर सकता है. समय रहते कदम उठाना जरूरी है वरना अर्थव्यवस्था पर लंबे समय तक असर पड़ सकता है.