17 नवंबर को शेख हसीना पर फैसला! बांग्लादेश में सियासी भूचाल, ढाका से चटगांव तक तनाव चरम पर

ढाका: बांग्लादेश इन दिनों अपने राजनीतिक इतिहास के सबसे निर्णायक दौर से गुजर रहा है. देश की राजनीति में तीन दशकों से अधिक समय तक प्रभावशाली रही पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर अब वही अदालत फैसला सुनाने जा रही है, जिसकी स्थापना उन्होंने खुद की थी.

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ढाका: बांग्लादेश इन दिनों अपने राजनीतिक इतिहास के सबसे निर्णायक दौर से गुजर रहा है. देश की राजनीति में तीन दशकों से अधिक समय तक प्रभावशाली रही पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर अब वही अदालत फैसला सुनाने जा रही है, जिसकी स्थापना उन्होंने खुद की थी. इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने घोषणा की है कि 17 नवंबर 2025 को हसीना के खिलाफ मानवता के खिलाफ अपराधों से जुड़े मामले में फैसला सुनाया जाएगा.

फैसले से पहले ही बवाल

फैसले की तारीख तय होने से पहले ही राजधानी ढाका, राजशाही, सिलहट और चटगांव समेत कई इलाकों में तनाव बढ़ गया है. अवामी लीग समर्थकों और सुरक्षा बलों के बीच झड़पों की खबरें लगातार आ रही हैं. कई जगहों पर वाहनों में आगजनी, पथराव और कॉकटेल बम धमाकों जैसी घटनाएं हुईं. सड़कों पर हसीना के समर्थन में बैनर-पोस्टर लगे हैं, वहीं सोशल मीडिया पर पार्टी नेताओं द्वारा समर्थकों से “लोकतंत्र बचाओ” की अपीलें की जा रही हैं. दूसरी ओर, अंतरिम सरकार की ओर से देशभर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है.

जिस अदालत को बनाया

यह विडंबना है कि जिस ट्रिब्यूनल (ICT) को हसीना ने 2009 में 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान हुए युद्ध अपराधों की जांच के लिए बनाया था, अब वही अदालत उनके खिलाफ फैसला सुनाने जा रही है. मौजूदा अंतरिम सरकार, जिसकी अगुवाई नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस कर रहे हैं, ने ICT के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाकर हाल की राजनीतिक हिंसा को भी इसके दायरे में शामिल किया है. इसी के तहत जुलाई 2024 की हिंसा को लेकर हसीना पर मुकदमा चला.

पांच गंभीर आरोप

अभियोजन पक्ष का कहना है कि जुलाई 2024 में छात्रों द्वारा शुरू किए गए आंदोलन को दबाने के लिए हसीना ने बल प्रयोग का आदेश दिया था. इस कार्रवाई में सैकड़ों लोगों की मौत हुई और हजारों घायल हुए. हसीना पर पांच गंभीर आरोप लगाए गए हैं—जिनमें हत्या, नरसंहार, मानवता के खिलाफ अपराध, अवैध बल प्रयोग, और राजनीतिक उत्पीड़न शामिल हैं. सरकारी वकील ने अदालत में कहा कि हसीना ने “राज्य शक्ति का दुरुपयोग करते हुए अपने ही नागरिकों पर हिंसा की” और उनके खिलाफ फांसी की सजा की मांग की गई है.

अवामी लीग ने बताया राजनीतिक साजिश

हसीना की पार्टी अवामी लीग ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया है. पार्टी नेताओं का कहना है कि “यह मुकदमा विपक्ष को पूरी तरह खत्म करने की साजिश है.” उनका दावा है कि हसीना ने हमेशा लोकतंत्र और विकास के लिए काम किया, और उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है.

जुलाई आंदोलन जिसने सत्ता पलट दी

यह मामला उस जुलाई 2024 के छात्र आंदोलन से जुड़ा है जिसने हसीना सरकार की नींव हिला दी थी. यह विरोध शुरुआत में विश्वविद्यालयों में भ्रष्टाचार और पुलिस ज्यादती के खिलाफ हुआ था, लेकिन कुछ ही हफ्तों में यह सरकार विरोधी जनआंदोलन बन गया. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, इन प्रदर्शनों में लगभग 1,400 लोगों की मौत हुई और हजारों गिरफ्तार किए गए. पुलिस पर गोलीबारी, हिरासत में यातना और महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के आरोप लगे. हालात इतने बिगड़ गए कि 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना देश छोड़कर भारत भाग गईं, और उसके बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ.

सुरक्षा अलर्ट और यूनुस का अगला कदम

अंतरिम सरकार ने अवामी लीग और उससे जुड़े संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसके बावजूद समर्थक भूमिगत रूप से विरोध जारी रखे हुए हैं. देश में हाई अलर्ट जारी है और सीमा चौकियों पर तलाशी अभियान तेज कर दिए गए हैं. अब तक सैकड़ों नेताओं और कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया है. सूत्रों के मुताबिक, चीफ एडवाइजर मोहम्मद यूनुस जल्द ही राष्ट्र को संबोधित कर शांति की अपील कर सकते हैं. हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि 17 नवंबर का फैसला चाहे जो भी हो, बांग्लादेश की राजनीति एक नए मोड़ पर पहुंचने वाली है.