SCO Summit 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन 2025 के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठक की.
शनिवार को दो दिवसीय चीन यात्रा पर पहुंचे पीएम मोदी ने इस बैठक में भारत-चीन संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया. यह मुलाकात वैश्विक मंच पर दोनों देशों के बीच सहयोग और विश्वास को बढ़ाने का एक नया अध्याय शुरू करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है.
#WATCH | तियानजिन, चीन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक के दौरान, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा, "... चीन और भारत पूर्व की दो प्राचीन सभ्यताएँ हैं। हम दुनिया के दो सबसे अधिक आबादी वाले देश हैं, और हम ग्लोबल साउथ के भी महत्वपूर्ण सदस्य हैं। हम दोनों अपने… pic.twitter.com/rCWDf5SUwY
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 31, 2025
ड्रैगन और हाथी का साथ
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बैठक में कहा, "प्रधानमंत्री मोदी, आपसे पुनः मुलाकात कर प्रसन्नता हो रही है. कज़ान में हमारी पिछली बैठक अत्यंत सफल रही थी. विश्व एक बड़े परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है. भारत और चीन विश्व की सबसे बड़ी जनसंख्या वाले देश हैं.
ड्रैगन और हाथी का एक साथ आना न केवल हमारे लिए, बल्कि वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए भी आवश्यक है." शी ने भारत और चीन की प्राचीन सभ्यताओं का उल्लेख करते हुए दोनों देशों के बीच दोस्ती और पड़ोसी धर्म को महत्वपूर्ण बताया.
पीएम मोदी ने रखा विश्वास का आधार
प्रधानमंत्री मोदी ने शी जिनपिंग के आतिथ्य के लिए आभार व्यक्त किया और कहा, "कज़ान में हमारी मुलाकात ने हमारे संबंधों को सकारात्मक दिशा दी. सीमाओं पर श physics, कैलाश मानसरोवर यात्रा का पुनरारंभ और दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानों की बहाली इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं. भारत-चीन सहयोग 2.8 अरब लोगों के हितों को संबल देता है, जो मानवता के कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है." पीएम मोदी ने विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता को भारत-चीन संबंधों का आधार बताया.
विश्व मंच पर भारत-चीन की एकजुटता
यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय आयात पर 50% टैरिफ लगाने के बावजूद भारत दृढ़ता से अपनी स्थिति बनाए हुए है. भारत और चीन का यह एकजुट होना वैश्विक मंच पर एक मजबूत संदेश देता है. दोनों देशों के बीच बढ़ता सहयोग न केवल क्षेत्रीय, बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण है.