अभी भी टल सकता केरल की नर्स निमिषा की फांसी? जानिए सरकार ने SC को क्या बताया

अटॉर्नी जनरल वेंकटरमणी ने लाइव लॉ के हवाले से बताया कि यमन की संवेदनशील स्थिति और वहां भारत के राजनयिक संबंधों की कमी के कारण सरकार की कोशिशें सीमित हैं.

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Nimisha Priya: केरल की नर्स निमिषा प्रिया जो यमन में हत्या के आरोप में मौत की सजा का सामना कर रही हैं, की फांसी 16 जुलाई को निर्धारित है. भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह इस मामले में ज्यादा कुछ नहीं कर सकती. अटॉर्नी जनरल वेंकटरमणी ने लाइव लॉ के हवाले से बताया कि यमन की संवेदनशील स्थिति और वहां भारत के राजनयिक संबंधों की कमी के कारण सरकार की कोशिशें सीमित हैं.

सरकार की निजी कोशिशें

सरकार ने कोर्ट को सूचित किया कि वह निजी स्तर पर निमिषा को बचाने की कोशिश कर रही है.वेंकटरमणी ने कहा, "भारत सरकार एक हद तक ही हस्तक्षेप कर सकती है.हमने वह सीमा छू ली है.यमन अन्य देशों जैसा नहीं है, इसलिए हम सार्वजनिक रूप से हस्तक्षेप नहीं कर रहे।" सरकार कुछ प्रभावशाली शेखों और स्थानीय लोगों के जरिए निजी तौर पर बातचीत कर रही है.

ब्लड मनी पर चर्चा

हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया कि यह एक निजी समझौता है, जिसमें उसकी सीमित भूमिका है.यमन में ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के नियंत्रण वाले जेल में निमिषा बंद हैं, जिसके कारण राजनयिक प्रयास और जटिल हो गए हैं.

आगामी सुनवाई

पलक्कड़ की रहने वाली निमिषा 2011 में परिवार के साथ यमन गई थीं.आर्थिक तंगी के कारण उनके पति और बेटी 2014 में भारत लौट आए.निमिषा ने यमन में क्लिनिक खोलने के लिए स्थानीय नागरिक तलाल अब्दो महदी के साथ साझेदारी की.महदी ने कथित तौर पर निमिषा का उत्पीड़न किया और उनका पासपोर्ट छीन लिया.

पासपोर्ट वापस पाने की कोशिश में निमिषा ने महदी को बेहोश करने की कोशिश की, जिससे उनकी मृत्यु हो गई.इसके बाद 2020 में निमिषा को मौत की सजा सुनाई गई.सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को 18 जुलाई के लिए पुनः सूचीबद्ध किया है.निमिषा के परिवार और समर्थकों को उम्मीद है कि आखिरी क्षणों में कोई समाधान निकल सकता है.