'राजा आओ, देश बचाओ' बांग्लादेश जैसी हो गई नेपाल की स्थिति? क्या है हिंसा के कारण 

इस समय नेपाल में राजशाही की बहाली की मांग को लेकर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं. पिछले साल बांग्लादेश में जिस तरह के हालात थे, ठीक वैसे ही हालात इस समय नेपाल में भी हैं.

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Nepal Protests: इस समय नेपाल में राजशाही की बहाली की मांग को लेकर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं. पिछले साल बांग्लादेश में जिस तरह के हालात थे, ठीक वैसे ही हालात इस समय नेपाल में भी हैं. बांग्लादेश की तरह नेपाल में भी हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए हैं और हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं. इस हिंसक प्रदर्शन में कई लोगों की जान जा चुकी है जबकि कई लोग घायल भी हुए हैं.

फिलहाल हालात इतने गंभीर हैं कि वहां कर्फ्यू लगा दिया गया है. इस समय नेपाल हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग को लेकर हिंसा की आग में जल रहा है. राजशाही की बहाली की मांग ने वहां हिंसा का रूप ले लिया है. यही वजह है कि हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए हैं. आइए जानते हैं नेपाल में ये विरोध प्रदर्शन क्यों हो रहा है.

राजशाही समर्थक ने दी जानकारी 

समाचार एजेंसी एपी से बात करते हुए राजशाही समर्थक राजेंद्र बहादुर खाती ने कहा, "हमें देश में राजशाही वापस लाने की जरूरत है ताकि राजा वापस आ सकें. उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में राजनीतिक दल और व्यवस्था बहुत खराब है." उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में राजशाही बहाली की मांग कर रहे हजारों राजतंत्रवादी ज्ञानेंद्र शाह की तस्वीरें और राष्ट्रीय ध्वज लेकर चल रहे हैं और 'भ्रष्ट सरकार मुर्दाबाद' और 'राजा आओ, देश बचाओ' जैसे नारे लगा रहे हैं.

हिंसा के कारण

19 फरवरी को लोकतंत्र दिवस के अवसर पर पूर्व नेपाली राजा ज्ञानेंद्र शाह ने अपने समर्थकों से अपने पीछे एकजुट होने का आग्रह किया था. उसी समय से राजशाही की बहाली के लिए ये विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. उस दिन से लेकर अब तक इन प्रदर्शनकारियों ने कई प्रदर्शन किए हैं. सभी प्रमुख रैलियाँ 9 मार्च को आयोजित की गईं.

इस हिंसक प्रदर्शन को बढ़ता देख प्रधानमंत्री केपी ओली ने कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई. ओली ने इस हिंसा के लिए आयोजकों को जिम्मेदार ठहराया. इस प्रदर्शन को लेकर उन्होंने कहा, "कानून का उल्लंघन करने वाले सभी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

यह प्रदर्शन तब बढ़ा जब प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बैरिकेड्स तोड़ने का दुस्साहस किया. यह सब रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे. इस समय नेपाल में हालात पिछले साल बांग्लादेश जैसे ही हो गए हैं. अब देखना यह है कि हिंसा कब रुकेगी.