खून-खराबे की धमकी देने वाले बिलावल भुट्टो का यू-टर्न! भारत से कर रहा शांति की अपील

पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि अगर भारत शांति का रास्ता अपनाना चाहता है, तो उसे खुले दिल से आना चाहिए, न कि बंद मुट्ठी के साथ. उसे तथ्यों के साथ बात करनी चाहिए, न कि झूठी कहानियों के साथ.

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Courtesy: Social Media

Bilawal Bhutto: पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी ने मंगलवार को भारत के साथ शांति की वकालत की, जो उनकी हालिया आक्रामक टिप्पणी से पूरी तरह उलट है. कुछ दिन पहले उन्होंने सिंधु जल संधि के निलंबन पर खून-खराबे की धमकी दी थी. 

पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि अगर भारत शांति का रास्ता अपनाना चाहता है, तो उसे खुले दिल से आना चाहिए, न कि बंद मुट्ठी के साथ. उसे तथ्यों के साथ बात करनी चाहिए, न कि झूठी कहानियों के साथ. आइए, पड़ोसियों की तरह बैठकर सच का सामना करें.

पाकिस्तान के लोग कभी घुटने नहीं टेकेंगे

पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक भुट्टो ने यह भी कहा कि अगर भारत ऐसा नहीं करता, तो उसे याद रखना चाहिए कि पाकिस्तान के लोग कभी घुटने नहीं टेकेंगे. हमारी आजादी हमें प्रिय है और इसके लिए हम लड़ने को तैयार हैं. यह बयान 25 अप्रैल को उनके उस बयान के बाद आया, जिसमें उन्होंने कहा था कि पाकिस्तानी लोग एकजुट होकर भारत के आक्रमण का जवाब देंगे. जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोग, ज्यादातर पर्यटक, मारे गए. जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव को और भी ज्यादा बढ़ गया.

सिंधु नदी पर विवादित बयान
  
पहलगाम हमले के जवाब में भारत ने 23 अप्रैल को पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाए. जिसमें सिंधु जल संधि को निलंबित, अटारी सीमा पर व्यापार बंद करना और राजनयिक संबंधों को कम करना शामिल रहा. इन कदमों ने दोनों देशों के बीच पहले से तनावपूर्ण रिश्तों को और जटिल कर दिया. इस बीच बिलावल भुट्टो-जरदारी का एक्स अकाउंट को निलंबित कर दिया गया. यह कार्रवाई उनके उस बयान के बाद हुई, जिसमें उन्होंने कहा था कि सुक्कुर में सिंधु नदी के किनारे खड़े होकर मैं भारत को बता रहा हूं कि सिंधु हमारी है. इसमें पानी बहे या खून, यह हमारी रहेगी. इसके अलावा भारत में कानूनी मांगों का हवाला देते हुए पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान का भी X अकाउंट भी निलंबित किया गया है. भुट्टो का यह नया शांतिपूर्ण रुख दोनों देशों के बीच तनाव कम करने की दिशा में एक कदम हो सकता है, लेकिन भारत की प्रतिक्रिया का इंतजार है.