मुंबई: जिंदगी में कुछ पल ऐसे होते हैं जब दर्द दिल को चीर देता है, लेकिन कुछ लोग उसी दर्द को अपनी ताकत बना लेते हैं. ऐसा ही कर दिखाया मुंबई के युवा क्रिकेटर मुशीर खान ने 20 साल के इस बल्लेबाज ने मामा के निधन के गम के बीच रणजी ट्रॉफी के मुकाबले में न केवल मैदान पर उतरने का फैसला किया, बल्कि हिमाचल प्रदेश के खिलाफ शानदार शतक ठोककर सबका दिल जीत लिया.
मुशीर को 8 नवंबर की सुबह ही अपने मामा के निधन की खबर मिली थी. मैच शुरू होने से कुछ घंटे पहले उन्हें यह दर्दनाक सूचना दी गई, जिसने उन्हें अंदर से तोड़ दिया. लेकिन उन्होंने खुद को संभाला और मैदान पर उतरने का निर्णय लिया. यही नहीं, उन्होंने उस मुकाबले में ऐसा प्रदर्शन किया, जो मुंबई टीम को मुश्किल स्थिति से बाहर लेकर आया.
संकट में संभाली मुंबई की पारी
बांद्रा कुर्ला कॉम्पलेक्स मैदान पर खेले गए इस मुकाबले में मुंबई ने पहले बल्लेबाजी की. टीम की शुरुआत बेहद खराब रही और महज 73 रन पर ही रहाणे, सरफराज खान और म्हात्रे जैसे बड़े बल्लेबाज पवेलियन लौट गए. हालात चुनौतीपूर्ण थे, लेकिन मुशीर ने धैर्य और आत्मविश्वास से स्थिति को संभाला. उन्होंने 162 गेंदों पर 112 रन की पारी खेली, जिसमें 14 शानदार चौके शामिल थे.
मुशीर ने सिद्धेश लाड के साथ मिलकर पांचवें विकेट के लिए शतकीय साझेदारी की. दोनों के बीच यह साझेदारी मुंबई के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुई और टीम को संकट से बाहर निकालने में अहम रही. शतक पूरा करने के बाद जब मुशीर से बात की गई तो उन्होंने कहा, “यह शतक मेरे लिए बेहद खास है, क्योंकि यह लंबे समय के बाद आया है और मेरे लिए बहुत भावनात्मक पल है. मैं अपने मामा की गोद में खेला करता था, उनसे जुड़ी अनगिनत यादें हैं. उनका जाना मेरे लिए बहुत बड़ा नुकसान है.”
Rohit Sharma was watching the Mumbai's Ranji Trophy match today. [📸: Shamik from RevSportz] pic.twitter.com/WTXbpIvvCe
— Johns. (@CricCrazyJohns) November 8, 2025
रोहित शर्मा ने मैदान पर दिया साथ
मुंबई के इस मुकाबले को देखने टीम इंडिया के कप्तान रोहित शर्मा भी मैदान पर पहुंचे थे. वे बांद्रा कुर्ला कॉम्पलेक्स के उसी ग्राउंड पर बैठे थे, जहां वे अक्सर अभ्यास करते हैं. लेकिन इस दिन उनका मकसद सिर्फ एक था—अपनी घरेलू टीम को सपोर्ट करना. उनकी मौजूदगी ने युवा खिलाड़ियों, खासकर मुशीर को अतिरिक्त हौसला दिया.
मुशीर खान की यह पारी न सिर्फ क्रिकेट के मैदान पर उनकी प्रतिभा का सबूत है, बल्कि यह संदेश भी देती है कि असली खिलाड़ी वही होता है, जो विपरीत परिस्थितियों में भी अपने जज्बे और जिम्मेदारी को नहीं भूलता.