Kargil Vijay Diwas: भारत ने कारगिल विजय दिवस की 26वीं वर्षगांठ गर्व और सम्मान के साथ शनिवार, 26 जुलाई 2025 यानी आज मनाई. यह दिन भारतीय सेना की अदम्य वीरता, अडिग संकल्प और मातृभूमि के लिए शहादत देने वाले शूरवीरों की याद में मनाया जाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं और वीर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की.
मीडिया रिपोर्ट्स से मिली जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह अवसर हमें मां भारती के उन वीर सपूतों के अप्रतिम साहस और शौर्य का स्मरण कराता है, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपना पूरा जीवन का बलिदान में दे दिया. उनकी अपनी मातृभूमि के प्रति कुर्बानी का उनका ये जज्बा हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा. जय हिंद! साथ ही उन्होंने देशवासियों से अपील की कि इस दिन को केवल एक स्मृति दिवस के रूप में नहीं, बल्कि शहीदों के साहस और समर्पण को जीवन मूल्यों के रूप में अपनाया जाए.
देशवासियों को कारगिल विजय दिवस की ढेरों शुभकामनाएं। यह अवसर हमें मां भारती के उन वीर सपूतों के अप्रतिम साहस और शौर्य का स्मरण कराता है, जिन्होंने देश के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। मातृभूमि के लिए मर-मिटने का उनका जज्बा हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा। जय…
— Narendra Modi (@narendramodi) July 26, 2025
1999 में कारगिल की ऊंचाई वाली पहाड़ियों पर पाकिस्तानी सैनिकों और घुसपैठियों ने गुप्त रूप से कब्जा कर लिया था. इसका उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख के बीच की रणनीतिक संचार रेखाओं को काटना था. भारत ने त्वरित कार्रवाई करते हुए ‘ऑपरेशन विजय’ शुरू किया.
भारतीय सेना ने बर्फ से ढंकी पहाड़ियों, कठिन भू-भाग और शून्य से नीचे तापमान में भी अद्भुत साहस दिखाते हुए पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ दिया. युद्ध में सैकड़ों जवानों ने अपनी जान की कुर्बान दे दी, लेकिन भारत की जीत ने यह सिद्ध कर दिया कि कोई भी ताकत उसकी संप्रभुता को चुनौती नहीं दे सकती.
2025 में कारगिल विजय दिवस पर आयोजित समारोहों में राष्ट्र ने अपने वीर सपूतों को याद किया. नई पीढ़ी को प्रेरित करने के लिए देशभर के स्कूलों, कॉलेजों और सेना के प्रतिष्ठानों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए. यह दिन हमें न केवल विजय का गर्व देता है, बल्कि बलिदान, अनुशासन और देशप्रेम का संदेश भी देता है. प्रधानमंत्री मोदी की श्रद्धांजलि ने फिर से यह बात स्पष्ट कर दी कि भारत अपने सैनिकों के शौर्य को कभी भुला नहीं सकता.