AMU Minority Status: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने बड़ा फैसला सुनाया है. इस फैसले के बाद AMU के छात्र और प्रशासन में खुशी की लहर है. ऐसे में चीफ जस्टिस डीवाई CJI की अध्यक्षता वाली 7 जजों की टीम ने यह फैसला सुनाया है. 4-3 के फैसले से कहा गया कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के माइनॉरिटी स्टेटस को आगे भी बरकरार रखा जाएगा.
हालांकि, यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक संस्था का दर्जा दिया जाए या नहीं? यह 7 जजों के फैसले के बाद अब तीन जजों की बेंच तय करेगी. फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से AMU छात्र और अधिकारिय गदगद है. छात्रों ने इस फैसले से सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद दिया.
क्या है ये फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला दिया, जिसमें उसने एएमयू (अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय) के अल्पसंख्यक संस्थान होने या न होने के सवाल पर बहुमत से यह निर्णय देने से इनकार कर दिया. हालांकि, कोर्ट ने इस मुद्दे को भविष्य में नियमित बेंच के पास भेजने का फैसला किया, ताकि इस पर गहन विचार किया जा सके. कोर्ट ने इस मामले में 1967 के अजीज बाशा मामले के फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें यह कहा गया था कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है, क्योंकि इसकी स्थापना मुसलमानों द्वारा नहीं की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी संस्थान का अल्पसंख्यक दर्जा केवल इसकी स्थापना पर आधारित नहीं हो सकता, बल्कि यह भी देखना जरूरी है कि उस संस्थान का प्रशासन किसके द्वारा किया जा रहा है. अगर प्रशासन में अल्पसंख्यक समुदाय की भूमिका है, तो वह संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक दर्जे का दावा कर सकता है. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि कोई संस्थान केवल इसलिए अपना अल्पसंख्यक दर्जा नहीं खो सकता, क्योंकि उसे कानून के द्वारा स्थापित किया गया है. इस मामले को आगे सुनवाई के लिए नियमित बेंच के पास भेजने का निर्णय लिया गया है, जो इस पर और विस्तृत रूप से विचार करेगी.