Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को लोकपाल के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें उसने हाईकोर्ट के जजों की जांच करने का अधिकार होने की बात कही थी. शीर्ष अदालत ने इस फैसले को 'चिंताजनक' करार देते हुए केंद्र सरकार, लोकपाल कार्यालय और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया है.
क्या है मामला ?
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, लोकपाल ने हाईकोर्ट के एक अतिरिक्त जज के खिलाफ दो शिकायतों पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया था. शिकायतों में आरोप लगाया गया था कि उक्त जज ने एक अतिरिक्त जिला जज को प्रभावित किया और एक अन्य हाईकोर्ट जज ने एक निजी कंपनी के पक्ष में फैसला दिया, जो पहले उनकी क्लाइंट रह चुकी थी, जब वे वकालत कर रहे थे.
लोकपाल के आदेश में क्या कहा गया?
लोकपाल ने अपने आदेश में कहा कि इन शिकायतों और संबंधित दस्तावेजों को भारत के मुख्य न्यायाधीश के विचारार्थ भेजा जाए. लोकपाल के आदेश में कहा गया कि मुख्य न्यायाधीश के मार्गदर्शन की प्रतीक्षा करते हुए, इन शिकायतों की जांच चार सप्ताह के लिए स्थगित की जाती है, ताकि 2013 के अधिनियम की धारा 20(4) के तहत तय समय सीमा का पालन किया जा सके.
अधिनियम द्वारा स्थापित
लोकपाल के पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर ने 27 जनवरी को दिए अपने आदेश में कहा था कि हमने केवल यह मुद्दा तय किया है कि क्या संसद के अधिनियम द्वारा स्थापित हाईकोर्ट के जज 2013 अधिनियम की धारा 14 के दायरे में आते हैं. हमने इस पर सकारात्मक निर्णय दिया है. हमने शिकायतों के आरोपों की मेरिट पर कोई विचार नहीं किया है.
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश न्यायपालिका की स्वतंत्रता से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल खड़ा करता है. अब इस मामले में आगे की सुनवाई के दौरान न्यायिक क्षेत्राधिकार और लोकपाल की शक्तियों पर महत्वपूर्ण बहस होने की संभावना है.