स्मृति ईरानी की मां के साथ जुड़ी यादें, घर छोड़ने की कहानी, सुनकर रो पड़े सभी

स्मृति ईरानी ने हाल ही में अपने बचपन की एक भावनात्मक कहानी शेयर की, जिसने न केवल उनकी जिंदगी का रुख बदल दिया, बल्कि सुनने वालों को भी रुला दिया. एक इवेंट में स्मृति ने बताया कि जब वे सात साल की थीं, तो उनकी मां ने उन्हें और उनकी दो छोटी बहनों को एक अनजाने सफर पर ले जाने का निर्णय लिया था.

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Smriti Irani: स्मृति ईरानी ने हाल ही में अपने बचपन की एक भावनात्मक कहानी शेयर की, जिसने न केवल उनकी जिंदगी का रुख बदल दिया, बल्कि सुनने वालों को भी रुला दिया. एक इवेंट में स्मृति ने बताया कि जब वे सात साल की थीं, तो उनकी मां ने उन्हें और उनकी दो छोटी बहनों को एक अनजाने सफर पर ले जाने का निर्णय लिया था.

घर छोड़ने का दर्द

स्मृति ने बताया कि जब वे तीनों बहनें चावल और दाल खा रही थीं, अचानक उनकी मां आईं और पूछा कि क्या उन्होंने खाना खा लिया है. इसके बाद उनकी मां ने कहा कि बैग्स पैक हो चुके हैं और वे तीनों अपनी मां के साथ जा रही थीं. स्मृति को तब यह समझ में नहीं आया कि आखिर क्यों उनके बैग्स पैक किए गए थे, लेकिन उनकी मां की बातों से यह साफ था कि कुछ बड़ा होने वाला था. स्मृति ने याद किया कि उस दिन उनकी मां रिक्शे में बैठी थीं, उनके साथ सिलेंडर, दो बेटियां और बैग्स थे. यह सब देख स्मृति को असमंजस हुआ कि वे घर क्यों छोड़ रहे थे. मां ने बस इतना कहा, "मैं तुम्हें एक बेटा नहीं दे पाई, लेकिन अब हम यहां से जा रहे हैं."

सपने और संघर्ष की शुरुआत

स्मृति की मां ने उन्हें कभी नहीं बताया कि वे क्यों घर छोड़ रही थीं, लेकिन उनके दिल में यह उम्मीद और संघर्ष था कि एक दिन वे वह घर खरीदेंगी जिसे उन्होंने छोड़ा था. दिल्ली आने के बाद, स्मृति ने कड़ी मेहनत की और डबल-ट्रिपल जॉब्स कीं. एक दिन उन्हें वो घर मिला, और उन्होंने तय किया कि अब वह उसे खरीद सकती हैं.

मां की सीख

लेकिन जब स्मृति ने वह घर खरीदा, तो उन्होंने अपनी मां से इस बारे में बात की. मां ने पूछा कि क्या वह सचमुच उस घर को खरीदना चाहती हैं. स्मृति ने कहा कि उनके पास पैसे हैं, लेकिन फिर भी उन्होंने वह घर नहीं खरीदा. मां ने उनसे कहा, "दूसरों को माफ करना सीखो, अपने गुस्से को छोड़ दो, और जो लोग तुम्हारे साथ गलत थे, उन्हें माफ करना सीखो. यही तुम्हारे लिए सबसे बड़ा उपहार होगा."

स्मृति ने इस अनुभव से जो सीखा, उसे साझा करते हुए कहा, "अगर आप खुद में रहना चाहते हैं तो पहली सीख यही है कि आप खुद में रहो, उस मोमेंट को जियो और समय को देखो. यही चीज़ आपको शांति देगी."

भावनाओं का असर  

स्मृति की यह कहानी सुनकर न केवल वहां मौजूद लोग, बल्कि विदेशी मेहमान भी भावुक हो गए थे. यह अनुभव स्मृति की जिंदगी की एक महत्वपूर्ण सीख बनकर सामने आया और उसने हमें यह भी बताया कि अपने अतीत को समझकर, उसे माफ करके और अपनी राह पर चलते हुए हम अपने भविष्य को बेहतर बना सकते हैं.