Satyapal Malik passed away: सत्यपाल मलिक अपनी बेबाक राय और साहसी नेतृत्व के लिए जाने जाते थे, कई दिनों से अस्पताल में भर्ती थे और उनकी किडनी संबंधी समस्याओं का इलाज चल रहा था. उनके निजी सचिव केएस राणा ने इस दुखद समाचार की पुष्टि की. अस्पताल के अनुसार, मलिक का निधन दोपहर 1:10 बजे हुआ. उनके आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट 'एक्स' पर भी उनके निधन की जानकारी साझा की गई.
सत्यपाल मलिक का राजनैतिक सफर
उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में जन्मे सत्यपाल मलिक, जिन्होंने मेरठ विश्वविद्यालय से विज्ञान स्नातक और एलएलबी की डिग्री प्राप्त की, छात्र जीवन से ही राजनीति में प्रवेश कर गए थे.
पूर्व गवर्नर चौधरी सत्यपाल सिंह मलिक जी नहीं रहें।#satyapalmalik
— Satyapal Malik (@SatyapalMalik6) August 5, 2025
1968-69 में वह मेरठ विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए, जिसने उनकी नेतृत्व क्षमता को उजागर किया. 1974 में वह पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए और फिर 1980 से 1986 और 1986 से 1989 तक राज्यसभा सांसद रहे.1989 में जनता दल के टिकट पर वह अलीगढ़ से नौवीं लोकसभा के सांसद बने.
हालांकि, 1996 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. मलिक का राजनीतिक जीवन विविध दलों के साथ जुड़ा रहा, जिनमें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), भारतीय क्रांति दल, जनता दल, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, लोकदल और समाजवादी पार्टी शामिल हैं. 2012 में उन्हें बीजेपी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बनाया गया.
कैसा रहा प्रशासनिक योगदान
सत्यपाल मलिक ने कई राज्यों में राज्यपाल के रूप में अपनी सेवाएं दीं. उन्होंने सितंबर 2017 से अगस्त 2018 तक बिहार, मार्च 2018 से अगस्त 2018 तक ओडिशा के प्रभारी राज्यपाल, अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक जम्मू-कश्मीर, नवंबर 2019 से अगस्त 2020 तक गोवा और अगस्त 2020 से अक्टूबर 2022 तक मेघालय के राज्यपाल के रूप में कार्य किया.
विशेष रूप से, जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35ए को समाप्त करने के दौरान वह वहां के राज्यपाल थे. जब जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया, तब मलिक ने उपराज्यपाल के रूप में भी अपनी जिम्मेदारियां निभाईं. उनके कार्यकाल में उनकी निष्पक्षता और साहसिक निर्णयों ने उन्हें चर्चा में रखा.
मलिक ने हमेशा किसानों, लोकतंत्र और राष्ट्रीय हितों के लिए अपनी आवाज बुलंद की. उन्होंने भ्रष्टाचार और सामाजिक मुद्दों पर अपनी स्पष्ट राय के लिए व्यापक पहचान हासिल की.
नेताओं ने दी श्रद्धांजलि
सत्यपाल मलिक के निधन पर कई प्रमुख नेताओं ने शोक व्यक्त किया. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 'एक्स' पर लिखा, "पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक जी का निधन अत्यंत दुखद है. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें. उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं." भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा, "ग्रामीण पृष्ठभूमि से जुड़े सत्यपाल मलिक के निधन से हमें गहरा दुख हुआ.
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे." जेडीयू नेता केसी त्यागी ने इसे व्यक्तिगत क्षति बताते हुए कहा, "सत्यपाल मलिक के साथ मेरा लंबा साथ रहा. हमने चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व में लोकदल में और फिर वीपी सिंह की सरकार में साथ काम किया.
उनके निधन से पश्चिमी उत्तर प्रदेश ने एक मजबूत आवाज खो दी." रालोद नेता रोहित अग्रवाल और हरियाणा कांग्रेस नेता बृजेंद्र सिंह ने भी मलिक के योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी. कांग्रेस नेता तारिक अनवर ने कहा, "सत्यपाल मलिक का जीवन सिद्धांतों और स्पष्टवादिता से भरा था. उन्होंने किसानों और लोकतंत्र के लिए साहसपूर्वक आवाज उठाई."
किसानों और समाज की आवाज
सत्यपाल मलिक ने हमेशा किसानों और समाज के कमजोर वर्गों के हितों को प्राथमिकता दी. खासकर, कृषि आंदोलन के दौरान उनकी बेबाक टिप्पणियों ने उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बनाया. उन्होंने भ्रष्टाचार और अनुचित नीतियों के खिलाफ खुलकर बोला, जिसके कारण वह कई बार विवादों में भी रहे.
फिर भी उनकी नीयत और समर्पण पर कभी सवाल नहीं उठा.उनका व्यक्तित्व न केवल एक राजनेता के रूप में, बल्कि एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी प्रेरणादायक रहा. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उनकी जड़ें और वहां के लोगों से उनका गहरा जुड़ाव उन्हें एक जननेता बनाता था.
एक युग का अंत
सत्यपाल मलिक का निधन भारतीय राजनीति और समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है. उनकी स्पष्टवादिता, साहस और समाज के प्रति समर्पण हमेशा याद किया जाएगा. उनके निधन ने न केवल उनके परिवार, बल्कि उन लाखों लोगों के दिलों को छुआ, जिनके लिए वह एक प्रेरणा थे.उनके निधन पर देश भर से लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं. यह एक ऐसे युग का अंत है, जो सत्य, साहस और जनसेवा का प्रतीक था. सत्यपाल मलिक की स्मृति हमेशा हमारे बीच जीवित रहेगी.