Birsa Munda's birth anniversary: दिल्ली में सराय काले खां चौक का नाम बदलकर अब बिरसा मुंडा चौक कर दिया गया है. केंद्रीय शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर यह ऐलान किया. आईएसबीटी बस स्टैंड के पास आयोजित एक विशेष समारोह में यह घोषणा की गई. इस कदम का उद्देश्य आदिवासी नेता और स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की विरासत का सम्मान करना और नागरिकों को उनके प्रेरणादायक योगदान से अवगत कराना है.
खट्टर ने इस मौके पर कहा, "यह बड़ा चौक, जो आईएसबीटी बस स्टैंड के बाहर स्थित है, अब भगवान बिरसा मुंडा चौक के नाम से जाना जाएगा. यहां पर स्थापित प्रतिमा और चौक का नाम देखकर न केवल दिल्ली के लोग बल्कि अंतर्राष्ट्रीय बस स्टैंड पर आने वाले आगंतुक भी उनके जीवन से प्रेरित होंगे."
"Sarai Kale Khan Chowk will now be known as Birsa Munda Chowk": Union Minister Manohar Lal Khattar
— ANI Digital (@ani_digital) November 15, 2024
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बिरसा मुंडा की प्रतिमा का अनावरण
इस ऐतिहासिक मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना और खट्टर ने मिलकर बिरसा मुंडा की प्रतिमा का अनावरण किया. बिरसा मुंडा, जिन्हें ‘धरती आबा’ के नाम से जाना जाता है, ने 19वीं शताब्दी में छोटानागपुर क्षेत्र में ब्रिटिश शोषण के खिलाफ आदिवासी समुदाय का नेतृत्व किया. उनके नेतृत्व में हुए “उलगुलान” आंदोलन ने औपनिवेशिक नीतियों के खिलाफ आदिवासियों को एकजुट किया और उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया.
संघर्ष और प्रेरणा का प्रतीक
बिरसा मुंडा ने बिरसाइत विश्वास की स्थापना की, जिसमें एकेश्वरवाद और स्वदेशी मान्यताओं का समावेश था. सिर्फ 25 वर्ष की उम्र में उनके निधन के बावजूद उनकी विरासत आज भी कायम है. उनके योगदान को सम्मानित करने के लिए केंद्र सरकार ने 15 नवंबर को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ घोषित किया.