Medical College ragging: 2022 से 2024 के बीच भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में रैगिंग से संबंधित 51 मौतें दर्ज की गईं. यह आंकड़ा राजस्थान के कोटा में इसी अवधि के दौरान हुई जो 57 छात्रों की आत्महत्याओं के लगभग बराबर है. यह चौंकाने वाला खुलासा सोसाइटी अगेंस्ट वायलेंस इन एजुकेशन द्वारा प्रकाशित 'स्टेट ऑफ रैगिंग इन इंडिया 2022-24' रिपोर्ट में किया गया है. रिपोर्ट में मेडिकल कॉलेजों को रैगिंग के लिए हॉटस्पॉट बताया गया है.
रैगिंग की गंभीर स्थिति
राष्ट्रीय रैगिंग विरोधी हेल्पलाइन पर 1,946 कॉलेजों से दर्ज 3,156 शिकायतों के आधार पर तैयार इस रिपोर्ट में रैगिंग के रुझान, उच्च जोखिम वाले संस्थानों और घटनाओं की गंभीरता पर प्रकाश डाला गया है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि मेडिकल कॉलेजों में छात्रों की संख्या के अनुपात में रैगिंग की घटनाएं अन्य संस्थानों की तुलना में 30 गुना अधिक हैं.
"यह नहीं कहा जा सकता कि भारत में तीन साल में केवल 3,156 रैगिंग शिकायतें ही दर्ज हुईं. ये सिर्फ हेल्पलाइन पर दर्ज शिकायतें हैं. बड़ी संख्या में शिकायतें कॉलेजों और पुलिस के पास सीधे दर्ज होती हैं, रिपोर्ट में कहा गया है.
सुरक्षा के डर से बहुत कम पीड़ित शिकायत दर्ज कराने की हिम्मत जुटा पाते हैं, जबकि अन्य चुपचाप सहन करते हैं. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि पीड़ितों की पहचान सुरक्षित रखने के लिए हेल्पलाइन पर गुमनाम शिकायतें स्वीकार की जानी चाहिए. यह कदम रैगिंग के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई में मददगार साबित हो सकता है.