Manipur Violence: मणिपुर के जिरीबाम में 11 नवंबर को सुरक्षा बलों द्वारा 10 सशस्त्र उग्रवादियों की हत्या के बाद असम और मिजोरम में स्थिति तनावपूर्ण हो गई है. सिलचर मेडिकल कॉलेज में इन शवों के पोस्टमार्टम में हो रही देरी से असम में आदिवासी संगठनों में असंतोष बढ़ रहा है. संगठनों ने अस्पताल के बाहर विरोध जताते हुए "लंबी पोस्टमार्टम प्रक्रिया" पर सवाल उठाए और समय पर जानकारी देने की मांग की.
MNF ने दिया शहीद का दर्जा
मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) ने मारे गए लोगों को "शहीद" का दर्जा दिया है. एमएनएफ का आरोप है कि सीआरपीएफ और पुलिस की संयुक्त टीम ने "ग्रामीण स्वयंसेवकों" को उग्रवादी समझकर मार डाला, जो न्याय से परे हत्या है. एमएनएफ ने चेतावनी दी है कि इस तरह की घटनाओं से मणिपुर में नाजुक स्थिति और खराब हो सकती है.
क्यों हुई पोस्टमार्टम में देरी
कछार के एसपी नुमल मेहता ने एक बयान में कहा कि पोस्टमार्टम में देरी जानबूझकर नहीं की गई और स्थिति पर नियंत्रण बनाए रखने के प्रयास किए जा रहे हैं. इस बीच, नागरिक अधिकार संगठनों ने मणिपुर घाटी के कई जिलों में विरोध बंद का आह्वान किया है. वहीं, तामेंगलोंग जिले में कुछ हथियारबंद लोगों ने रसद ले जा रहे दो ट्रकों में आग लगा दी.