'मुस्लिम समुदाय को...', दिल्ली HC के आदेश पर मौलाना अरशद मदनी ने दिया बड़ा बयान 

याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह फिल्म मुस्लिम समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाती है और सामाजिक सद्भाव को नुकसान पहुँचा सकती है.

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Udaipur Files controversy: दिल्ली HC में बुधवार को फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' की रिलीज के खिलाफ दायर याचिका पर अहम सुनवाई हुई. जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति अनीश दयाल की पीठ के समक्ष दलीलें पेश कीं. याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह फिल्म मुस्लिम समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाती है और सामाजिक सद्भाव को नुकसान पहुँचा सकती है.

सेंसर बोर्ड का जवाब

कपिल सिब्बल ने अदालत में दलील दी कि फिल्म में ऐसे दृश्य हैं जो मुस्लिम समुदाय को गलत तरीके से चित्रित करते हैं. उन्होंने कहा कि यह फिल्म धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा दे सकती है और संविधान के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करती है. सिब्बल ने अदालत से मांग की .

ऐसी फिल्म को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि यह सामाजिक एकता के लिए खतरा पैदा कर सकती है. सेंसर बोर्ड ने अदालत को बताया कि फिल्म से सभी आपत्तिजनक दृश्य हटा दिए गए हैं. बोर्ड के वकील ने दावा किया कि अब फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे किसी समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुँचे.

मौलाना अरशद मदनी का बयान

मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना नहीं है. उन्होंने याचिकाकर्ता के वकीलों को पूरी फिल्म की स्क्रीनिंग दिखाने का निर्देश दिया, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि फिल्म में कोई आपत्तिजनक सामग्री नहीं बची है.

मौलाना अरशद मदनी ने अदालत की कार्यवाही पर संतोष व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि सेंसर बोर्ड और निर्माताओं ने उनकी आपत्तियों को स्वीकार कर लिया है. मदनी ने उम्मीद जताई कि अदालत का अंतिम फैसला संविधान की गरिमा और मुस्लिम समुदाय की भावनाओं का सम्मान करेगा. अगली सुनवाई गुरुवार को होगी.