Malegaon Blast Case: 2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस में बरी होने के बाद बीजेपी की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने जांच एजेंसियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने दावा किया कि जांच अधिकारियों ने उन पर दबाव डाला कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और बीजेपी नेता राम माधव जैसे प्रमुख हस्तियों के नाम लें.
प्रज्ञा ने कहा, “मुझे झूठ बोलने के लिए प्रताड़ित किया गया. मेरे फेफड़े खराब हो गए, और मुझे अवैध रूप से अस्पताल में हिरासत में रखा गया. मैंने किसी का नाम नहीं लिया, क्योंकि यह साजिश थी.”
एनआईए कोर्ट का बड़ा फैसला
कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर सका. इस मामले में कुल 14 लोग गिरफ्तार हुए थे, लेकिन सात को पहले ही बरी कर दिया गया था. यह फैसला मालेगांव ब्लास्ट केस में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जो देश के सबसे लंबे समय तक चले आतंकी मामलों में से एक है.
एटीएस के पूर्व अधिकारी का भी दावा
एटीएस के पूर्व सदस्य महबूब मुजावर ने भी सनसनीखेज खुलासा किया. उन्होंने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया. मुजावर का दावा है कि जांच को ‘भगवा आतंकवाद’ के रूप में पेश करने की कोशिश की गई थी. हालांकि, कोर्ट ने इन दावों को खारिज कर दिया.
मालेगांव ब्लास्ट
29 सितंबर 2008 को मालेगांव में एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल पर रखे विस्फोटक उपकरण में धमाका हुआ था, जिसमें छह लोगों की मौत और 101 लोग घायल हुए थे. इस मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम और हत्या, साजिश जैसे आरोपों में मुकदमा चला.