जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव मंजूर, जांच समिति भी गठित, जानें इसमें कौन-कौन सदस्य शामिल?

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं. 12 अगस्त को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने जस्टिस यशवंत के खिलाफ कैश स्कैंडल मामले में महाभियोग प्रस्ताव को मंजूरी दे दी.

Date Updated
फॉलो करें:

Justice Yashwant Verma: इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं. 12 अगस्त को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने जस्टिस यशवंत के खिलाफ कैश स्कैंडल मामले में महाभियोग प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. मिली जानकारी के मुताबिक, इस प्रस्ताव पर कुल 146 सदस्यों ने सहमति जताई है.

उन्होंने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर भी किए हैं. इस सूची में सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्ष के नेता भी शामिल हैं. इसके लिए ओम बिरला ने एक जांच समिति भी गठित कर दी है. इस समिति में शामिल जजों के नामों की घोषणा भी कर दी गई है. यह मामला जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने और वहां से भारी मात्रा में जले हुए नोटों के बरामद होने से जुड़ा है.

जांच कमेटी का हुआ गठन

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने महाभियोग प्रस्ताव की गंभीरता को देखते हुए एक उच्चस्तरीय जांच कमेटी का गठन किया है. इस कमेटी में सुप्रीम कोर्ट के जज न्यायमूर्ति अरविंद कुमार, कर्नाटक हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता बीबी आचार्य और मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव शामिल हैं.

कमेटी की जांच पूरी होने और रिपोर्ट सौंपे जाने तक यह प्रस्ताव लंबित रहेगा. इस कमेटी का उद्देश्य मामले की गहराई से जांच करना और तथ्यों को सामने लाना है.

जस्टिस वर्मा पर क्यों उठे सवाल?

उस समय जस्टिस वर्मा दिल्ली हाईकोर्ट में थे. दिल्ली फायर सर्विस ने आग पर काबू पा लिया, लेकिन जांच के दौरान उनके स्टोर रूम से 500-500 रुपये के जले हुए नोटों के बंडल बरामद हुए.

जो बोरे में भरे थे. इस खुलासे के बाद जस्टिस वर्मा ने दावा किया कि उनके घर में कोई नकदी नहीं थी और उन्हें साजिश के तहत फंसाया जा रहा है. इस घटना के बाद 28 मार्च को उनका तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया गया.

महाभियोग की प्रक्रिया क्या है?

भारत में किसी हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जज को हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है. यह प्रस्ताव पहले लोकसभा स्पीकर या राज्यसभा सभापति के समक्ष रखा जाता है. स्वीकृति के बाद एक जांच कमेटी बनाई जाती है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट का एक जज, हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश और एक प्रख्यात विधि विशेषज्ञ शामिल होते हैं. कमेटी की जांच के आधार पर संसद में प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय लिया जाता है.

आगे क्या होगा?

जांच कमेटी अब इस मामले की गहन पड़ताल करेगी. जस्टिस वर्मा के खिलाफ लगे आरोपों की सत्यता और उनके दावों की जांच के बाद कमेटी अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. इस रिपोर्ट के आधार पर संसद में महाभियोग प्रस्ताव पर आगे की कार्रवाई होगी. यह मामला न केवल कानूनी बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी चर्चा में है.