'भारत-अमेरिका संबंधों...', 25% टैरिफ के बाद विदेश मंत्रालय का बयान

विदेश मंत्रालय ने बताया कि दोनों देश जन-जन के संबंधों से जुड़े हैं. जायसवाल ने कहा कि हमारा रिश्ता कई बदलावों से गुजरा है. हम ठोस एजेंडे पर काम कर रहे हैं. जायसवाल ने भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों को मजबूत बताया. 

Date Updated
फॉलो करें:
Courtesy: Social Media

India US Relations: विदेश मंत्रालय ने भारत और अमेरिका के बीच मजबूत रणनीतिक साझेदारी की पुष्टि की. मंत्रालय ने कहा कि यह रिश्ता चुनौतियों के बावजूद आगे बढ़ेगा. यह बयान अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप के हालिया टैरिफ फैसले के बाद आया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत और अमेरिका साझा हितों और लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित रिश्ता साझा करते हैं.

विदेश मंत्रालय ने बताया कि दोनों देश जन-जन के संबंधों से जुड़े हैं. जायसवाल ने कहा कि हमारा रिश्ता कई बदलावों से गुजरा है. हम ठोस एजेंडे पर काम कर रहे हैं. जायसवाल ने भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों को मजबूत बताया. 

अमेरिका का 25 प्रतिशत टैरिफ का ऐलान  

जायसवाल ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में रक्षा सहयोग बढ़ा है. 21वीं सदी के लिए भारत-अमेरिका समझौते से यह साझेदारी और मजबूत होगी. उन्होंने जोर दिया कि भारत की रक्षा नीतियां राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक जरूरतों पर आधारित हैं. हाल ही में खबरें आईं कि अमेरिका ने रूसी तेल और हथियारों की खरीद के कारण भारत पर 25% टैरिफ लगाया. इसके जवाब में भारत ने F-35 लड़ाकू विमान खरीदने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया. जायसवाल ने साफ कहा कि F-35 खरीद पर कोई औपचारिक चर्चा नहीं की गई है. भारत अपनी रक्षा जरूरतों को स्वतंत्र रूप से तय करता है.

वैश्विक स्थिति पर नजर

अमेरिका ने भारत-रूस निकटता की आलोचना की थी. इस पर जायसवाल ने कहा कि भारत के अन्य देशों के साथ रिश्ते उनकी अपनी खूबियों पर आधारित हैं. उन्होंने रूस के साथ भारत की साझेदारी को स्थिर और समय की कसौटी पर खरा बताया. इसे किसी तीसरे देश के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए. कुछ खबरों में दावा किया गया कि भारतीय कंपनियों ने रूसी तेल खरीद बंद कर दी. जायसवाल ने कहा कि हमें ऐसी कोई विशेष जानकारी नहीं है. उन्होंने बताया कि भारत वैश्विक बाजार और ऊर्जा जरूरतों के आधार पर फैसले लेता है. मंत्रालय वैश्विक स्थिति पर नजर रख रहा है. भारत-अमेरिका साझेदारी वैश्विक स्थिरता के लिए अहम है. दोनों देशों के बीच रक्षा, व्यापार और तकनीकी सहयोग बढ़ रहा है. भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति पर कायम है. यह विवाद वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को और मजबूत करने का अवसर दे सकता है.