अफगानिस्तान में पाकिस्तान द्वारा किए गए हालिया हवाई हमलों की भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कड़ी आलोचना की है. भारत के दूत ने इन हमलों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतर्राष्ट्रीय कानून का खुला उल्लंघन बताया. उन्होंने कहा कि ऐसे हमले पहले से ही संकट में डूबी अफगान जनता पर गंभीर मानवीय असर डालते हैं.
दूत ने स्पष्ट कहा कि हम संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतर्राष्ट्रीय कानून का सम्मान करने की अपील करते हैं, खासकर निर्दोष नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए.
भारत ने पाकिस्तान द्वारा अफगानिस्तान के लिए प्रमुख व्यापार और पारगमन मार्ग बंद करने की निंदा करते हुए इसे व्यापार और पारगमन आतंकवाद की श्रेणी में रखा. भारत ने कहा कि अफगानिस्तान एक लैंडलॉक देश है, जो आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए सीमा पार व्यापार पर निर्भर है. ऐसे में पाकिस्तान द्वारा रास्ते बंद करना न केवल मानवीय संकट बढ़ाता है, बल्कि WTO नियमों का भी उल्लंघन करता है.
भारत ने चेतावनी दी कि यह रवैया एक कमजोर और संघर्षग्रस्त देश के खिलाफ खुली धमकी और युद्ध जैसी कार्रवाई है. भारत ने अफगानिस्तान की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और स्वतंत्रता के प्रति अपने दृढ़ समर्थन की पुष्टि की. भारत ने यह भी कहा कि तालिबान के साथ व्यावहारिक जुड़ाव आवश्यक है, क्योंकि केवल दंडात्मक नीतियों पर निर्भर रहना समाधान नहीं है. बल्कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को ऐसी नीतियां अपनानी चाहिए जो सकारात्मक कदम उठाने के लिए प्रेरित करें और अफगान जनता को स्थायी लाभ पहुंचाएं. भारत ने आगाह किया कि लगातार एकतरफा और सख्त उपाय पिछले साढ़े चार वर्षों में देखी गई “जैसा चल रहा था वैसा ही चलता रहने” वाली स्थिति को और बढ़ा सकते हैं.
भारत ने अपने वक्तव्य में ISIL, अल-कायदा, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और उनके प्रॉक्सी समूहों, जिसमें रेजिस्टेंस फ्रंट भी शामिल है, द्वारा बढ़ते खतरे का भी उल्लेख किया. भारत ने कहा कि ये संगठन अफगानिस्तान और पूरे क्षेत्र के लिए गंभीर सुरक्षा चुनौती बने हुए हैं. भारत ने वैश्विक समुदाय से समन्वित प्रयासों की अपील की, ताकि इन समूहों को सीमा पार आतंकवाद फैलाने या किसी भी प्रकार का ऑपरेशनल समर्थन प्राप्त करने से रोका जा सके.