Mathura Disabled Girl Married Thakur Shaligram: उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के श्री कृष्ण नगरी में एक बेहद दिलचस्प और अनोखा मामला सामने आया. यहां एक दिव्यांग लड़की ने भगवान शालीग्राम के साथ विवाह रचाया. इस शादी के दौरान सभी पारंपरिक हिंदू रीति-रिवाजों का पालन करते हुए बारात भी आई, डेहरी पूजन हुआ, और परिग्रह संस्कार जैसे सभी विवाह कार्यक्रम संपन्न हुए. खास बात यह है कि इस शादी में भगवान शालीग्राम दूल्हे के रूप में थे, जबकि शीतल अग्रवाल नामक युवती, जो जन्म से दिव्यांग हैं और बोलने में भी असमर्थ हैं, ने दुल्हन का रूप धारण किया.
शीतल अग्रवाल की शादी का इमोशनल पहलू
शीतल अग्रवाल के पिता, प्रमोद अग्रवाल, जो एक सर्राफा व्यापारी हैं, अपनी बेटी की शादी को लेकर हमेशा चिंतित रहते थे. शीतल का जन्म से दिव्यांग होना और बोलने में असमर्थ होना उनके लिए चिंता का विषय था. वे यह सोचते थे कि उनकी बेटी की शादी कैसे होगी, और क्या वह किसी से शादी कर पाएगी. प्रमोद ने इस समस्या को लेकर संत समाज से मार्गदर्शन लिया और संतों ने उन्हें एक अद्भुत सलाह दी.
संतों की सलाह: भगवान शालीग्राम से शादी कीजिए
संत समाज ने प्रमोद अग्रवाल को सलाह दी कि अगर वह अपनी बेटी का कन्यादान करना चाहते हैं और उसकी शादी करना चाहते हैं तो वे भगवान शालीग्राम के साथ उनकी शादी कर सकते हैं. यह सलाह सुनकर प्रमोद की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उन्होंने इस विचार पर घर में विचार विमर्श किया और अंत में यह तय किया कि शीतल की शादी भगवान शालीग्राम से हिंदू रीति रिवाज के साथ होगी.
शादी के दिन की धूमधाम
19 फरवरी को शीतल अग्रवाल और भगवान शालीग्राम के बीच शादी का आयोजन बड़े धूमधाम से हुआ. इस शादी के दौरान बैंड-बाजे के साथ बारात आई, और सभी पारंपरिक शादी के कार्यक्रम जैसे डेहरी पूजन, परिग्रह संस्कार आदि संपन्न हुए. यह शादी पूरी तरह से हिंदू वैदिक मंत्रों और रीति-रिवाजों के साथ संपन्न हुई.
समाज में एक संदेश
इस विवाह ने समाज में एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है कि भगवान हर किसी के जीवन साथी को भेजते हैं, और सही समय पर वह मिल जाते हैं. यह घटना एक प्रेरणा का प्रतीक बन गई है कि अगर किसी के दिल में सच्ची भावना हो, तो वह किसी भी परिस्थिति को पार कर सकता है.
मथुरा में हुई यह शादी एक उदाहरण बन गई है कि प्यार और आस्था में कोई भी सीमा नहीं होती, और जब तक हमारी नीयत सही होती है, भगवान हर रास्ते में साथ होते हैं. शीतल और उनके परिवार के लिए यह एक सुखद और अनोखा अनुभव रहा, जो हमेशा याद किया जाएगा.