बांग्लादेश के मैमनसिंह जिले में एक हिंदू कपड़ा फैक्ट्री मजदूर दीपू चंद्र दास की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या और शव को आग लगाने की घटना ने भारत में व्यापक आक्रोश पैदा कर दिया है. 18 दिसंबर को हुई इस जघन्य वारदात के बाद मंगलवार को नई दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, हैदराबाद, अगरतला और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों सहित कई शहरों में हिंदू संगठनों ने जोरदार प्रदर्शन किए.
प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और न्याय की मांग की, जिससे पहले से तनावपूर्ण भारत-बांग्लादेश संबंधों में और खटास आ गई है. इस घटना को कथित ईशनिंदा का आरोप बताया गया, हालांकि जांच में ऐसे कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं.
विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और बजरंग दल के नेतृत्व में नई दिल्ली में सैकड़ों प्रदर्शनकारी बांग्लादेश उच्चायोग के बाहर जमा हुए. भारी पुलिस बल की तैनाती के बावजूद प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड तोड़े और नारे लगाए. उन्होंने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस का पुतला फूंका और हिंदू रक्त की हर बूंद का हिसाब मांगा. पुलिस ने करीब 1500 जवानों की तैनाती की थी और प्रदर्शनकारियों को मिशन से 800 मीटर दूर रोका.
कोलकाता में बंगीय हिंदू जागरण सहित अन्य संगठनों ने बांग्लादेश उप उच्चायोग के पास प्रदर्शन किया, जिसके बाद तनाव बढ़ने पर पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. मुंबई में वीएचपी कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया, जबकि हैदराबाद में प्रदर्शनकारियों ने आंदोलन को और तेज करने की चेतावनी दी. अगरतला और अन्य शहरों में भी इसी तरह के प्रदर्शन हुए, जहां अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमलों की निंदा की गई.
घटना के बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजदूतों को तलब कर औपचारिक विरोध दर्ज किया. बांग्लादेश ने भारत के उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को ढाका में बुलाया और नई दिल्ली में बांग्लादेश उच्चायोग के बाहर प्रदर्शनों तथा सिलीगुड़ी में वीजा केंद्र में तोड़फोड़ पर गहरी चिंता जताई.
बाद में भारत ने बांग्लादेश के उच्चायुक्त रियाज हामिदुल्लाह को विदेश मंत्रालय में तलब किया. भारतीय अधिकारियों ने बांग्लादेश में कट्टरपंथी छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या की निष्पक्ष जांच की मांग की और भारत को दोषी ठहराने वाले निराधार आरोपों की निंदा की. इन आरोपों से बांग्लादेश में भारत-विरोधी प्रदर्शन भड़के, जिसमें चटगांव में भारतीय सहायक उच्चायोग पर हमले की कोशिश शामिल है.