मुलायम सिंह पर टिप्पणी को लेकर हनुमान गढ़ी के पुजारी के खिलाफ मानहानि मामले में 17 फरवरी को सुनवाई

उत्तर प्रदेश के हनुमानगढ़ी मंदिर के पुजारी के खिलाफ समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव पर की गई टिप्पणी को लेकर मानहानि का मामला दर्ज किया गया है. इस मामले में अब सुनवाई 17 फरवरी को तय की गई है. पुजारी के खिलाफ यह मामला उनके विवादित बयान के कारण सामने आया है, जिसे मुलायम सिंह यादव के समर्थकों और समाजवादी पार्टी ने गंभीरता से लिया है.

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Courtesy: social media

उत्तर प्रदेश के हनुमानगढ़ी मंदिर के पुजारी के खिलाफ समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव पर की गई टिप्पणी को लेकर मानहानि का मामला दर्ज किया गया है. इस मामले में अब सुनवाई 17 फरवरी को तय की गई है. पुजारी के खिलाफ यह मामला उनके विवादित बयान के कारण सामने आया है, जिसे मुलायम सिंह यादव के समर्थकों और समाजवादी पार्टी ने गंभीरता से लिया है.

मुलायम सिंह यादव पर टिप्पणी का विवाद

हनुमानगढ़ी के पुजारी ने हाल ही में एक सार्वजनिक सभा में मुलायम सिंह यादव पर विवादास्पद टिप्पणी की थी, जो सपा के नेताओं और समर्थकों को नागवार गुजरी. उनके बयान के बाद, सपा के नेताओं ने इस बयान को आपत्तिजनक और अपमानजनक मानते हुए पुजारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की थी. इसके परिणामस्वरूप, मुलायम सिंह के प्रति उनकी असम्मानजनक टिप्पणी को लेकर मानहानि का मामला दर्ज कराया गया.

मानहानि का मामला और कानूनी प्रक्रिया

मानहानि के इस मामले में हनुमानगढ़ी के पुजारी के खिलाफ न्यायालय में आरोप लगाए गए हैं कि उन्होंने जानबूझकर मुलायम सिंह यादव की छवि को धूमिल किया है. मामले की सुनवाई अब 17 फरवरी को होगी, जिसमें अदालत पुजारी के बयान के कानूनी और नैतिक पहलुओं पर विचार करेगी. पुजारी पर आरोप है कि उन्होंने सार्वजनिक रूप से ऐसा बयान दिया जो न केवल मुलायम सिंह यादव की गरिमा के खिलाफ था, बल्कि समाज में नफरत और घृणा फैलाने का भी कारण बना.

सपा ने उठाई थी कानूनी कार्रवाई की मांग

समाजवादी पार्टी और मुलायम सिंह यादव के समर्थकों ने इस बयान को लेकर सख्त ऐतराज जताया था. सपा नेता ने बयान को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि इस प्रकार के बयान पार्टी और उसके नेता की छवि को नुकसान पहुंचाते हैं. इसके बाद, सपा के प्रमुख नेताओं ने हनुमानगढ़ी के पुजारी के खिलाफ कानूनी कदम उठाने की मांग की थी, जिसके परिणामस्वरूप यह मामला अदालत में पहुंचा.

अब, जब मामला अदालत में है, तो 17 फरवरी को होने वाली सुनवाई यह निर्धारित करेगी कि पुजारी के बयान पर मानहानि का मामला कितना मजबूत है और क्या उन्हें कानूनी तौर पर जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. इस मामले ने न केवल राजनीति को बल्कि धार्मिक संगठनों और उनके नेताओं के बयानबाजी पर भी सवाल उठाया है, जिससे कानूनी और सामाजिक दोनों ही दृष्टिकोण से यह मामला महत्वपूर्ण बन गया है.

(इस खबर को सलाम हिन्दुस्तान की टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की हुई है)