Adani Group: भारतीय अरबपति गौतम अडानी के नेतृत्व वाला अडानी समूह एक बार फिर अमेरिकी जांच के घेरे में है. वॉल स्ट्रीट जर्नल (WSJ) की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) इस बात की जांच कर रहा है कि क्या अडानी समूह की किसी कंपनी ने ईरान से संबंधित व्यावसायिक गतिविधियों के माध्यम से अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन किया है. जांच ईरानी मूल के तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (LPG) से संबंधित व्यापार पर केंद्रित है.
अमेरिकी जांच का नया मोड़
डब्ल्यूएसजे की जांच में पाया गया कि गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह और फारस की खाड़ी के बीच चलने वाले कुछ टैंकरों में ऐसी विशेषताएं दिखीं, जो विशेषज्ञों के अनुसार प्रतिबंधों से बचने के लिए इस्तेमाल होने वाले जहाजों में आम हैं. इन गतिविधियों ने अमेरिकी अधिकारियों का ध्यान खींचा है, जो अब इस मामले की गहराई से पड़ताल कर रहे हैं.
अडानी समूह का खंडन
अडानी समूह ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है. समूह के प्रवक्ता ने डब्ल्यूएसजे को दिए बयान में कहा, "हमने जानबूझकर प्रतिबंधों से बचने या ईरान मूल के एलपीजी व्यापार में कोई भागीदारी नहीं की है. साथ ही, हमें अमेरिकी अधिकारियों द्वारा इस विषय पर किसी जांच की जानकारी नहीं है." समूह ने इन आरोपों को निराधार बताया और कानूनी रास्ते अपनाने की बात कही.
भविष्य पर प्रभाव
यह जांच ऐसे समय में सामने आई है, जब कुछ महीने पहले ही अमेरिकी अधिकारियों ने गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी पर बिजली आपूर्ति अनुबंध हासिल करने के लिए रिश्वत देने और अमेरिकी निवेशकों को गुमराह करने के आरोप में मामला दर्ज किया था.
अडानी समूह ने इन आरोपों को भी खारिज करते हुए कानूनी कार्रवाई का वादा किया था. यह नई जांच अडानी समूह की वैश्विक छवि और कारोबारी रणनीतियों पर असर डाल सकती है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की जांचें न केवल समूह की प्रतिष्ठा को प्रभावित करती हैं, बल्कि निवेशकों के विश्वास पर भी सवाल उठाती हैं.