Prajwal Revanna: कर्नाटक के मैसूर में केआर नगर की एक घरेलू सहायिका के बलात्कार मामले में बेंगलुरु की विशेष अदालत ने पूर्व जेडीएस सांसद प्रज्वल रेवन्ना को दोषी ठहराया. सजा का ऐलान शनिवार, 2 अगस्त को होगा. यह फैसला मात्र 14 महीनों में आया, जो न्याय प्रक्रिया की तेजी को दर्शाता है.
मैसूर के केआर नगर में एक हेल्पर ने प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ बलात्कार का आरोप लगाया. उसने दावा किया कि रेवन्ना ने दो बार उसके साथ गलत किया और वीडियो बनाकर ब्लैकमेल किया. यह मामला अप्रैल 2024 में दर्ज हुआ. भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया.
जांच के दौरान पीड़िता ने एक साड़ी पेश की, जिसे उसने सुरक्षित रखा था. फोरेंसिक जांच में साड़ी पर शुक्राणु मिले. यह सबूत अदालत में निर्णायक साबित हुआ. विशेष जांच दल (एसआईटी) ने 123 साक्ष्य जुटाए और 2 हजार पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया. इंस्पेक्टर शोभा की अगुवाई में एसआईटी ने गहन जांच की. 31 दिसंबर 2024 को मुकदमा शुरू हुआ. सात महीनों में 23 गवाहों से पूछताछ हुई. फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) की वीडियो और अपराध स्थल की रिपोर्ट्स की जाँच की गई. रेवन्ना के मोबाइल से वीडियो ट्रांसफर के तकनीकी सबूत भी पेश किए गए.
फैसला सुनते ही रेवन्ना अदालत में भावुक हो गए और रो पड़े. विशेष जनप्रतिनिधि अदालत ने उन्हें कई धाराओं में दोषी ठहराया. धारा 376 और धारा 354(ए, बी और सी) में तीन साल से लेकर आजीवन सजा हो सकती है. धारा 506 में छह महीने और धारा 201 में एक से सात साल तक की सजा का प्रावधान है. आईटी अधिनियम की धारा 66(ई) में तीन साल तक की सजा हो सकती है. यह फैसला समाज में कानून की ताकत को दर्शाता है. इस मामले में 2 हजार से ज्यादा अश्लील वीडियो सामने आए. इस मामले को लेकर ना केवल कर्नाटक में बल्कि पूरे देश में विवाद खड़ा कर दिया है.