Rolo: छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में शुक्रवार को सीआरपीएफ ने अपने वीर श्वान रोलो का अंतिम संस्कार किया. दो वर्षीय बेल्जियन शेफर्ड रोलो सीआरपीएफ के विशिष्ट K9 दस्ते का हिस्सा था. कर्रेगुट्टालु पहाड़ियों में नक्सल विरोधी अभियान के दौरान मधुमक्खियों के हमले में उसकी जान चली गई. मौत का कारण 200 मधुमक्खियों के डंक से हुआ एनाफिलेक्टिक शॉक बताया गया.
रोलो को बेंगलुरु के सीआरपीएफ डॉग ब्रीडिंग एंड ट्रेनिंग स्कूल में प्रशिक्षित किया गया. रोलो को विस्फोटक खोज, पैट्रोलिंग और हमले में महारत हासिल थी. अप्रैल 2024 में उसे 228वीं बटालियन में नक्सल विरोधी अभियानों के लिए तैनात किया गया. ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट में रोलो ने विस्फोटकों का पता लगाकर जवानों की जान बचाई. सीआरपीएफ डीजी ने उसकी बहादुरी के लिए मरणोपरांत कमेंडेशन मेडल से सम्मानित किया.
27 अप्रैल को कर्रेगुट्टालु पहाड़ियों में रोलो तलाशी अभियान में शामिल था. इसी दौरान मधुमक्खियों के एक झुंड ने रोलो पर हमला कर दिया. रोलो के संचालकों ने उसे पॉलीथीन शीट से ढकने की कोशिश की. लेकिन मधुमक्खियां शीट के अंदर घुस गईं. रोलो को करीब 200 डंक लगे. दर्द और जलन से परेशान रोलो ने शीट हटा दी. इससे वह और असुरक्षित हो गया. तुरंत चिकित्सा सहायता दी गई, लेकिन रास्ते में रोलो ने दम तोड़ दिया.
‘ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट’ 21 अप्रैल से 11 मई तक चला. यह छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर नक्सलियों के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा अभियान था. इस दौरान 31 नक्सली ढ़ेर हो गए. इस अभियान में 214 नक्सली ठिकाने नष्ट किए गए.
रोलो के बलिदान को सम्मान देने के लिए सीआरपीएफ ने गार्ड ऑफ ऑनर के साथ उसकी अंतिम विदाई दी. जवानों ने हथियार उलटकर रोलो को सलामी दी. सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि रोलो एक सच्चा सैनिक था. उसका योगदान अविस्मरणीय है. रोलो की शहादत ने नक्सल विरोधी अभियानों में K9 इकाई की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया.