Digital fraud: दिल्ली के रोहिणी में 77 वर्षीय एक सेवानिवृत्त इंजीनियर 19 दिनों तक एक डिजिटल बिल्डर के झांसे में रहा, जिसमें उसने अपनी पूरी जिंदगी की जमा पूंजी गंवा दी. जालसाजों ने मनी लॉन्ड्रिंग के लिए फर्जी किराए के तौर पर उससे 10.3 करोड़ रुपये ठग लिए. पीड़ित ने बताया कि लोगों ने मेरे दिमाग और शरीर पर पूरा नियंत्रण कर लिया था.
कैसे शुरू हुआ घोटाला
यह घटना 25 सितंबर को एक कूरियर कंपनी के कॉल से शुरू हुई. पीड़ित ने बताया कि कॉल में उन्हें बताया गया कि उनका एक पार्सल जिसमें आधार कार्ड की जानकारी है वापस आ गया है. वीडियो कॉल पर ठग ने खुद को मुंबई पुलिस अधिकारी बताया और बैंक विवरण मांगा. बाद में एक व्यक्ति ने सीबीआई अधिकारी बनकर पीड़ित को अलग कमरे में जाकर बात करने का निर्देश दिया.
डर और दबाव का माहौल
ठगों ने पीड़ित को देश न छोड़ने के आदेश के फर्जी दस्तावेज दिखाए और अपने बच्चों या परिवार को न बताने की चेतावनी दी. पीड़ित ने बताया कि उन्होंने दावा किया कि मेरा फोन निगरानी में है और मुझे घंटों तक डिजिटल हाउस अरेस्ट में रखा गया. इसके बाद एक कथित प्रवर्तन निदेशालय अधिकारी ने उन्हें जांच में सहयोग देने का झांसा दिया.
10 करोड़ रुपये तीन किस्तों में ट्रांसफर
14 अक्टूबर तक, पीड़ित ने ठगों के कहने पर तीन किस्तों में 10.3 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए. उनके भाई ने उन्हें समझाया कि यह धोखाधड़ी है. इसके बाद उन्होंने रोहिणी पुलिस साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई. दिल्ली पुलिस की आईएफएसओ इकाई मामले की जांच कर रही है. पीड़ित ने कहा, मेरा सारा पैसा खत्म हो चुका है.