केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए नए आयकर विधेयक को मंजूरी दे दी है, जो 1961 के पुराने आयकर अधिनियम की जगह लेगा. इस विधेयक को अगले सप्ताह संसद में पेश किया जाएगा, जहां इसे वित्त संबंधी स्थायी समिति के पास भेजा जाएगा. यह कदम सीधे तौर पर भारत के प्रत्यक्ष कर कानूनों को सुधारने की दिशा में उठाया गया है.
आयकर विधेयक का उद्देश्य और मुख्य पहलू
इस नए विधेयक का मुख्य उद्देश्य आयकर कानून को सरल और समझने में आसान बनाना है. रिपोर्टों के अनुसार, इस विधेयक में नए करों का कोई बोझ नहीं डाला गया है और इसमें लंबे वाक्य या जटिल प्रावधान भी नहीं होंगे. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस विधेयक के बारे में अपनी बजट 2025-26 की घोषणा में बताया था कि यह विधेयक संसद के चालू सत्र में पेश किया जाएगा.
आयकर कानून की समीक्षा और सुधार
निर्मला सीतारमण ने 2024 के बजट में इस बात का जिक्र किया था कि आयकर अधिनियम, 1961 की व्यापक समीक्षा की जाएगी. इसके तहत, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आयकर कानून की समीक्षा और उसे संक्षिप्त, स्पष्ट और अधिक समझने योग्य बनाने के लिए एक आंतरिक समिति का गठन किया. इस समिति का उद्देश्य विवादों को कम करना, मुकदमेबाजी में कमी लाना और करदाताओं के लिए अधिक निश्चितता प्रदान करना था.
समीक्षा प्रक्रिया में 22 विशेष उप-समितियां भी गठित की गई थीं, जो आयकर अधिनियम के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा कर रही थीं. इस प्रक्रिया के दौरान, आयकर विभाग ने आयकर कानून में सुधार के संबंध में हितधारकों से 6,500 सुझाव प्राप्त किए.
सीतारमण की आयकर में बड़ी राहत
बजट 2025 के दौरान निर्मला सीतारमण ने मध्यम वर्ग को बड़ी राहत देने का ऐलान किया. उन्होंने घोषणा की कि अब प्रति वर्ष 12 लाख रुपये तक की आय वाले लोगों को कोई आयकर नहीं देना होगा. इस नई घोषणा ने मध्यम वर्ग को बहुत बड़ी राहत दी है, क्योंकि पहले यह सीमा 7 लाख रुपये थी. इसके अलावा, इस सीमा से अधिक आय वाले व्यक्तियों के लिए भी आयकर स्लैब में बदलाव किया गया है, जिससे 25 लाख रुपये तक की आय वालों को कर में 1.1 लाख रुपये तक की राहत मिल सकेगी.
नए आयकर विधेयक से भारत में कराधान प्रणाली में सुधार की उम्मीद है. यह विधेयक न केवल आयकर कानून को सरल और स्पष्ट बनाएगा, बल्कि करदाताओं के लिए अधिक निश्चितता और कम विवाद की स्थिति भी उत्पन्न करेगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह कदम मध्यम वर्ग को राहत देने के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था को और मजबूती प्रदान करेगा.