डीके शिवकुमार के बयान पर बवाल, कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें तेज

शिवकुमार ने समारोह में हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि हम कुर्सी के लिए लड़ते रहते हैं. आप (वकील) कहते हैं कि कुर्सी नहीं चाहिए. लेकिन जब कुर्सी मिले, तो उस पर बैठना सीख लीजिए. अवसर दुर्लभ हैं. उनकी इस बात पर लोग हंस पड़े, लेकिन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के साथ चल रहे सत्ता संघर्ष के बीच इस टिप्पणी को गंभीरता से लिया गया.

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Courtesy: Social Media

DK Shivakumar: कर्नाटक की राजनीति में एक बार फिर नेतृत्व परिवर्तन की अफवाहें जोर पकड़ रही हैं. उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की एक टिप्पणी ने इन अटकलों को और हवा दे दी है. बेंगलुरु एडवोकेट्स एसोसिएशन द्वारा आयोजित केम्पेगौड़ा जयंती समारोह में शिवकुमार ने कहा कि कुर्सी मिलना आसान नहीं है. जब मौका मिले, उसे लपक लीजिए. उनकी इस टिप्पणी ने सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी में हलचल मचा दी है.

शिवकुमार ने समारोह में हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि हम कुर्सी के लिए लड़ते रहते हैं. आप कहते हैं कि कुर्सी नहीं चाहिए. लेकिन जब कुर्सी मिले, तो उस पर बैठना सीख लीजिए. अवसर दुर्लभ हैं. उनकी इस बात पर लोग हंस पड़े, लेकिन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के साथ चल रहे सत्ता संघर्ष के बीच इस टिप्पणी को गंभीरता से लिया गया. कई लोगों ने इसे शिवकुमार की मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा से जोड़कर देखा.

सिद्धारमैया ने खारिज कीं अफवाहें

गुरुवार को दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने नेतृत्व परिवर्तन की अफवाहों को सिरे से खारिज कर दिया. बेंगलुरु में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि सुरजेवाला ने साफ कहा है कि नेतृत्व में कोई बदलाव नहीं होगा. सिद्धारमैया ने जोर देकर कहा कि पार्टी के भीतर इस मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं हो रही है. दिल्ली से लौटने के बाद डीके शिवकुमार ने भी इस मुद्दे पर ज्यादा टिप्पणी करने से बचते हुए कहा कि सिद्धारमैया ने पहले ही सबकुछ साफ कर दिया है. कांग्रेस आलाकमान का फैसला अंतिम है. उन्होंने नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों को और हवा देने से इनकार कर दिया.

एकता का दावा, फिर भी सवाल बरकरार

पिछले महीने सिद्धारमैया और शिवकुमार ने एक साथ पत्रकारों से बात कर एकता का प्रदर्शन किया था. सिद्धारमैया ने कहा, "हम दोनों के बीच कोई मनमुटाव नहीं है. चाहे कोई कुछ भी कहे, हमारे संबंध अच्छे हैं." लेकिन शिवकुमार की हालिया टिप्पणी ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं. क्या वाकई सबकुछ ठीक है, या यह सत्ता की लड़ाई का एक नया मोड़ है? कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच सत्ता का संतुलन चर्चा का विषय रहा है. दोनों नेताओं के समर्थक अपनी-अपनी ताकत दिखाने में जुटे हैं. शिवकुमार की टिप्पणी ने यह साफ कर दिया है कि वह हर मौके का फायदा उठाने को तैयार हैं. दूसरी ओर, सिद्धारमैया ने आलाकमान का समर्थन होने का दावा किया है. ऐसे में कर्नाटक की राजनीति में अगला कदम क्या होगा, यह देखना दिलचस्प रहेगा.